आषाढ़ मास अब समापन की तरफ बढ़ रहा है. धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास का विशेष महत्व बताया गया है. आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा को विशेष पुण्य बताया गया है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इसीलिए आषाढ़ मास की एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है. आषाढ़ मास की आखिरी यानि शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. आइए जानते हैं इसका महत्व-
देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है. इस दिन भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तिथि से ही भगवान विष्णु पाताला लोक में विश्राम के लिए प्रस्थान करते हैं. भगवान विष्णु का शयनकाल देवउठनी एकादशी को समाप्त होता है.
देवशयनी एकादशी कब है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार 19 जुलाई 2021, सोमवार से आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ होगा. एकादशी का व्रत 20 जुलाई 2021, मंगलवार को रखा जाएगा. इसके साथ ही देवशयनी एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानि 21 जुलाई 2021, बुधवार के दिन द्वादशी की तिथि को किया जाएगा.
देवशयनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 19, 2021 को 09:59 पी एम बजे
देवशयनी एकादशी समाप्त – जुलाई 20, 2021 को 07:17 पी एम बजे
देवशयनी एकादशी व्रत पारण- जुलाई 21, 05:36 ए एम से 08:21 ए एम
देवउठनी एकादशी कब है?
वर्ष 2021 में देवउठनी एकादशी का व्रत पंचांग के अनुसार 14 नवंबर 2021, रविवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाएगा. इसी दिन से चातुर्मास का समापन होगा.
चातुर्मास कब से शुरू हैं?
पंचांग के अनुसार चातुर्मास का आरंभ इस वर्ष 20 जुलाई से होगा और समापन 14 नवंबर को होगा. चातुर्मास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. चातुर्मास में शादी-विवाह, मुंडन आदि जैसे कार्य नहीं किए जाते हैं.