पूर्णिमा वट सावित्री व्रत कब? जानें

By AV NEWS

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को रखा जाने वाला व्रत वट पूर्णिमा व्रत या पूर्णिमा वट सावित्री व्रत कहलाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और बरगद वृक्ष की पूजा करती हुई उसकी 108 बार परिक्रमा करती हैं.बरगद वृक्ष बहुत ही लंबी आयु का होता है. इस लिए यह मान्यता है कि इनके पूजन और परिक्रमा से पति भी दीर्घायु होता है.

पौराणिक मान्यता है कि इस समय में सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए यह व्रत रखा था. इस व्रत को कई जगहों पर वट सावित्री व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत महिलायें ज्येष्ठ अमावस्या को  रखती है. इस साल पूर्णिमा वट सावित्री व्रत 14 जून को रखा जायेगा.

पूर्णिमा वट सावित्री व्रत 2022 तिथि

  • ज्येष्ठ की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 जून सोमवार को रात 09 बजकर 02 मिनट से
  • ज्येष्ठ की पूर्णिमा तिथि का समापन : 14 जून मंगलवार को शाम 05 बजकर 21 मिनट
  • उदयातिथि की मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 14 जून मंगलवार को रखा जाएगा.

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2022 चंद्रोदय समय

पूर्णिमा वट सावित्री व्रत में चंद्रमा का दर्शन जरूरी होता है. चन्द्र दर्शन के बाद ही पूर्णिमा व्रत समाप्त किया जाता है. हिंदी पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा का चंद्रोदय शाम 07 बजकर 29 मिनट पर होगा. इस रात पूजा के बाद जल में दूध, शक्कर, फूल और अक्षत मिलाकर चंद्र देव को अर्पित से कुंडली में चंद्रमा से जुड़े दोष दूर हो जाते हैं.

पूर्णिमा वट सावित्री व्रत के नियम

पूर्णिमा वट सावित्री व्रत के नियम ठीक उसी प्रकार होते हैं जो वट सावित्री व्रत के नियम हैं. पूर्णिमा व्रत में प्रातः काल उठकर स्नानादि नित्य कर्म से निवृत होकर पूजन की सामग्री लेकर निकट के बरगद वृक्ष के पास जाएं. वहां विधि –विधान से पूजन करें और 108 बार परिक्रमा करें. उसके बाद व्रत कथा सुनें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण करें.

वट पूर्णिमा व्रत के नियम

  1. व्रत रखने वाली महिला को वट पूर्णिमा व्रत के दिन नीले, काले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए.
  2. इन्हें काली नीली और सफ़ेद रंग की चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए.
  3. जो महिला पहली बार वट पूर्णिमा का व्रत रख रहीं हैं. उन्हें व्रत और पूजन के समय सुहाग की सारी सामग्री मायके की ही इस्तेमाल करनी चाहिए.
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