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होटल में बुक करवाया रूम नंबर 4-5 और दे दिया 8-9

होटल में बुक करवाया रूम नंबर 4-5 और दे दिया 8-9

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शहर की छवि बिगाड़ रहे होटल वाले, वीडियो कॉलिंग पर बुकिंग, किराया भी मनमाना वसूल रहे

पार्किंग के भी इंतजाम नहीं

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उज्जैन।….हमारी होटल में सभी सुविधाएं हैं….ये रूम नंबर 4 और ये रूम नंबर 5 का नजारा है। आप देख सकते हैं। हम मंदिर में दर्शन भी करवा देंगे। आपको हमारी होटल में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी….ठीक है आप रूम नंबर 4-5 बुक कर दीजिए….अरे ये क्या हमने जो रूम बुक करवाया उसकी जगह रूम 8-9 दे रहे हैं….ये ठीक बात नहीं हैं…..

ये संवाद महाकाल मंदिर क्षेत्र की एक होटल का है। तीन दिन पूर्व इंटरनेट पर सर्च करने के बाद होटल का नंबर लेकर एक व्यक्ति ने रूम बुक करवाए थे। होटल संचालक ने वीडियो कॉलिंग कर रूम दिखाए और किराया 5 हजार रुपये बताया गया। सब कुछ तय हो गया। जब ये लोग होटल पहुंचे तो इन्हें दूसरे ही रूम दे दिए गए। इसे लेकर विवाद भी हुआ लेकिन बाहरी व्यक्ति थे मनमसोस कर रह गए। ये स्थिति एक नहीं अन्य होटलों की भी हैं।

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आए दिन होटल वालों के विवाद सामने आ रहे हैं। बुधवार को सेना के जवानों के साथ होटल कर्मचारियों ने अभद्रता की थी। महाकाल महालोक बनने के के बाद से ही धार्मिक नगरी में देशभर से लोग आ रहे हैं। वहीं इन दिनों दिसंबर माह की छुट्टियां और नया साल मनाने के लिए लोग होटलों में बुकिंग भी करवा रहे हैं। मगर महाकाल मंदिर के आसपास के होटलवाले मनमानी कर रहे हैं।

गलियों में जाम, नहीं निकल पाई एंबुलेंस

महाकाल मंंदिर क्षेत्र के आसपास के रास्तों पर कई होटल और गेस्टहाउस बने हुए है। इनमें वाहन पार्किंग के कोई इंतजाम नहीं हैं। बाहर से आने वाले अपने वाहन होटल के सामने ही पार्क कर देते हैं। इससे इस क्षेत्र में रहने वालों को परेशानी होती है। बुधवार को भी यहां पर टे्रफिक जाम रहा। होटल डमरूवाला के सामने कई वाहन खड़े हुए थे। इससे किसी बीमार को लेने जा रही एंबुलेंस को यहां से निकलने में मशक्कत करना पड़ी।

300 से अधिक होटल-गेस्टहाउस बन गए

1992 के सिंहस्थ के दौरान धार्मिक नगरी में गिनती के होटल थे। 2004 के सिंहस्थ पूर्व होटलों की संख्या बढऩा शुरू हुई। इस दौरान नानाखेड़ा क्षेत्र में कई बड़े होटल बने।

इसके बाद 2016 के सिंहस्थ पूर्व महाकाल मंदिर के आसपास क्षेत्रों में छोटे होटल और गेस्टहाउस बनने का सिलसिला शुरू हुआ। लोगों ने अपने घरों को ही होटल का स्वरूप दे दिया। देखते ही देखते इनकी संख्या बढ़कर 300 से ऊपर पहुंच गई हैं। छोटी-छोटी गलियों में बनी ये होटलें और गेस्टहाउस मंदिर के पास होने से बाहर से आने वाले यहीं पर ठहरना पसंद करते हैं।

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