पितृपक्ष में नहीं करने चाहिए ये काम

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है. पितृपक्ष में पूरी श्रद्धा के साथ पितरों को याद किया जाता है और उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है. मान्यता है कि विधि पूर्वक पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं. इससे प्रसन्न होकर पूर्वज अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है इन दिनों कुछ खास काम करने की मनाही होती है. कहा जाता है कि इन कार्यों को करने से पितृ नाराज हो जाते हैं. आइए जानते हैं पितृपक्ष के दौरान कौन से कार्य नहीं करने चाहिए.

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न करें इनका प्रयोग:

पितृपक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं तो उस दिन शरीर पर तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए और ना ही पान खाना चाहिए।  इत्र का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

ना कटाए दाढ़ी और बाल:

मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दौरान करीब 16 दिनों तक पुरूषों को दाढ़ी और बालों को नहीं कटवाना चाहिए। ऐसा करने से घर पर आर्थिक तंगी हो सकती है।

नहीं खरीदते नया सामान:

मान्यता के अनुसार पितृ मावस के दौरान कोई भी नई चीज जैसे, कपड़े, बर्तन, गाड़ी सामान नहीं खरीदना जाता। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इससे अशुभ माना गया है और ऐसा करने से पितृ व पूर्वज क्रोधित हो जाते हैं।

भूल कर भी न करे इन चिजों का सेवन:

ऐसा माना जाता हैं की पितृपक्ष में मांस, प्याज, लहसून, ध्रुमपान, शराब, मदीरा जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पितृों का आर्शिवाद आपको नहीं मिलता, साथ ही घर पर सुख समृद्धि का वास भी नष्ट हो जाता है।

न करें शुभ कार्य शुरू:

पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पूर्वजों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शुद्धि के लिए पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान परिवार में एकतरह से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, साथ ही नई वस्तु की खरीदारी करना भी अशुभ माना गया है।

ऐसे बर्तनों का ना करें प्रयोग:

श्राद्ध कर्म के दौरान भूलकर भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में लोहे के बर्तन के प्रयोग करने से परिवार पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृपक्ष में लोहे के अलावा तांबा, पीतल या अन्य धातु से बनें बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

नहीं करना चाहिए इनका अपमान:

पितृपक्ष के दौरान भिखारी या फिर किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराएं नहीं जाने देना चाहिए। इसके साथ ही पशु-पक्षी जैसे कुत्ते, बिल्ली, कौवा आदि का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसरा, पूर्वज इस दौरान किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं।

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