पितरों को जल कितने बजे देना चाहिए?

श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है यानी अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि अंगूठे से पितरों को जल अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के जिस भाग पर अंगूठा होता है, उसे पितृ तीर्थ कहा जाता है। पितरों को जल तर्पण करने का समय सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच है. पितरों को जल अर्पित करते समय कांसे या तांबे के लोटे का प्रयोग करें।

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पितरों को जल कैसे देना चाहिए?

तर्पण सामग्री लेने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इसके बाद हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करें और उन्हें आमंत्रित करें और जल ग्रहण करने की प्रार्थना करें। इसके बाद 5-7 या 11 बार अंजलि से जल धरती पर गिराएं।

घर में पितरों का स्थान कहां होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा को यम की दिशा भी माना जाता है। ऐसे में पितरों की तस्वीर हमेशा उत्तर दिशा की ओर लगानी चाहिए। साथ ही पितरों का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। वहीं बेडरूम या ड्राइंग रूम में भी पूर्वजों की तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर पूर्वजों की तस्वीरें रखने से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।

इस बात का भी ध्यान रखें कि घर में एक से अधिक पूर्वजों की तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि पूर्वजों की तस्वीरें टांग कर नहीं रखनी चाहिए। उनकी तस्वीर को एक लकड़ी की चौकी पर रखना चाहिए। साथ ही घर के मंदिर या रसोई में भी पूर्वजों की तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए।

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