अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:दिवाली का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02.44 बजे से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी 13 नवंबर, सोमवार को दोपहर 02.56 बजे खत्म होगी।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा हमेशा अमावस्या तिथि के प्रदोष काल में मनाई जाती है। इस कारण से 12 नवंबर को प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेशजी की पूजा होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिवाली पर 5 राजयोग,3 शुभ योग और 1 सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा होगी। यानी कुल 8 दुर्लभ संयोग और 1 मुहूर्त में में पूजन करने से स्थायी रूप से माता लक्ष्मी का घर में वास होगा। इसके लिए स्थिर लग्न में पूजन करना भी उत्तम माना गया है।
5 राजयोग
दिवाली पर गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नामक राजयोग बन रहे हैं।
3 शुभ योग
इस दिवाली आयुष्यमान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बन रहे हैं।
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
शाम 05.39 से 07.35 के बीच।
लक्ष्मी पूजा का महानिशीथ काल मुहूर्त : रात्रि ११.39 से १२.32 के बीच।
लक्ष्मी पूजा के अन्य शुभ मुहूर्त
पूजा काल : शाम को 06.12 से रात्रि 08.12 तक।
प्रदोष काल : शाम को 06.01 से रात्रि 08.34 तक।
वृषभ काल : शाम को 06.12 से रात्रि 08.12 तक।
दिवाली पर रात का चौघडिय़ा मुहूर्त
शुभ : शाम 05.29 से 07.08 तक।
अमृत : रात्रि 07.08 से 08.47 तक।
लाभ : रात्रि 01.44 से 03.24 तक।