अक्षरविश्व एक्सक्लूसिव: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा पर विक्रमोत्सव में होगा मंथन
मार्च में देश के न्यायाधीशों के सम्मेलन में तैयार होगा ड्राफ्ट!
सुधीर नागर|उज्जैन। न्यायप्रिय सम्राट विक्रमादित्य की कभी राजधानी रही उज्जैन में विश्व का पहला वैदिक न्यायालय स्थापित होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा के साथ संस्कृति विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। उज्जैन में आयोजित होने वाले विक्रमोत्सव में वैदिक न्यायालय की योजना पर मंथन होगा और स्थान तय होगा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वैदिक न्यायालय का सपना धरातल पर उतारने का काम शुरू कर दिया है। सोमवार को भोपाल के पं. खुशीलाल आयुर्वेदिक संस्थान में आयोजित आयुर्वेद महापर्व 2025 के अंतर्गत तीन दिवसीय अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि अंतरराष्ट्रीय वैदिक न्यायालय उज्जैन में स्थापित होगा, जो सम्राट विक्रमादित्य की न्याय परंपरा पर आधारित होगा।
इसे स्थापित करने के लिए सरकार हरसंभव मदद देगी। संस्कृति विभाग के अंतर्गत विक्रमादित्य शोधपीठ यह न्यायालय स्थापित करने की योजना तैयार कर रहा है। अगले माह से आरम्भ होने वाले विक्रमोत्सव में वैदिक न्यायालय का ड्राफ्ट तैयार किया जा सकता है। विक्रमोत्सव 24 फरवरी से शुरू होगा और 30 जून तक चलेगा। इस दौरान मार्च में देश भर के न्यायाधीशों का बड़ा सम्मेलन भी होगा, जिसमें वैदिक न्यायालय की परिकल्पना को आकार दिया जाएगा। इसके लिए जगह का चयन भी होना बाकी है।
अपने आप में अनूठा होगा न्यायालय
वै दिक न्यायालय अपने तरह का अलग और अनूठा होगा। इसमें अदालतों की तरह फैसले नहीं होंगे बल्कि लोगों के गुणों को देखकर उन्हें एक दिशा दी जाएगी ताकि वे उस विधा में आगे बढ़ सकें। इसमें सजा देने जैसा प्रावधान नहीं होगा। मार्च में न्यायाधीशों के सम्मलेन में मंथन के बाद यह आकार ले सकेगा। अभी इसकी जगह तय नहीं है।
अभी घोषणा हुई
मध्यप्रदेश का पहला अंतरराष्ट्रीय वैदिक न्यायालय उज्जैन में स्थापित करने की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई है। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार इस दिशा में आगे काम होगा। श्रीराम तिवारी, निदेशक विक्रमादित्य शोधपीठ