पैरेंट्स बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा करते हैं. लेकिन, कई बार बच्चों के मासूम दिल को पढ़ने में माता-पिता से कुछ गलती हो जाती है या वो उसे समझ नहीं पाते. यहां जानिए आपके प्यार, केयर और सपोर्ट के अलावा ऐसी कौन सी चीजें हैं जो हर बच्चा अपने माता-पिता से चाहता है आप अपनी पेरेंटिंग में इन चीजों को शामिल कर लेते हैं तो ये न सिर्फ बच्चों के साथ आपके रिश्ते को मजबूत करेगा बल्कि आपके बच्चे को एक होनहार और बेहतरीन इंसान भी बनाएगा.
बातों को ध्यान से सुनना
हर बच्चा चाहता है कि उसके माता-पिता उसकी हर एक बात को ध्यान से सुनें और बिना जज किए उसकी बात को तवज्जोह दें. ऐसा करने से बच्चों के लिए एक सेफ स्पेस बनता है और वो उस जगह खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. ऐसे में आपके सामने वो बिना डर या किसी झिझक के अपनी बातें शेयर कर पाते हैं.
खुलकर प्यार करना
अक्सर पेरेंट्स को लगता है बच्चों को प्यार करने का मतलब है कि उनकी जरूरत की सारी चीज हम उनको लाकर दे दें. जबकि प्यार करने का मतलब यह होता है कि कभी अपने बच्चों को प्यार से गले लगा लें. उन्हें प्यार भरे शब्द जैसे आई लव यू, आई केयर फॉर यू कहें, ये छोटे-छोटे भाव बहुत जरूरी होते हैं और जब पैरेंट्स ऐसा करते हैं तो बच्चों का उनके साथ इमोशनल बॉन्ड भी स्ट्रोंग होता है.
सलाह देना
हर बच्चा चाहता है कि उसके माता-पिता उसे सलाह दें ना कि अपनी बातें उसपर थोपें. आप बच्चों को अपने फैसले खुद लेने की आजादी दें. जब आप ऐसा करते हैं तो वो कॉन्फिडेंट होते हैं. केवल यही नहीं जब आप ऐसा करते हैं तो बच्चों को एक सपोर्ट का एहसास भी होता है. हालांकि, बच्चों के फैसले में आप अपने सुझाव उन्हें बता सकते हैं.
बच्चों के पैशन को समझें
हर बच्चा किसी न किसी एक पर्टिकुलर चीज के लिए पैशनेट होता है. किसी बच्चे को आर्ट एंड क्राफ्ट, तो किसी को साइंस फिक्शन में इंटरेस्ट होता है. ऐसे में अपने बच्चों के पैशन को समझें, उसको सपोर्ट करें. ऐसा करने से बच्चे अपनी हॉबी को डेवलप करके इससे आगे जाकर कुछ इंटरेस्टिंग और अच्छा कर सकते हैं और ये उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है.
समय बिताएं
ये सबसे जरूरी चीज है जो लगभग हर बच्चा अपने माता-पिता से चाहता है कि वो उसके साथ समय बिताएं. इससे बच्चे काफी अच्छा महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि पैरेंट्स उन्हें वैल्यू देते हैं. जब पैरेंट्स बच्चों के साथ समय बिताते हैं तो उनका रिश्ता गहरा होता है. इतना ही नहीं जब पैरेंट्स बच्चों को समय नहीं देते हैं तो अकेलेपन में कई बच्चे डिप्रेशन और एंजाइटी का शिकार भी हो जाते हैं और गुस्सैल या चिड़चिड़े होते हैं. उन्हें सोशल एंजाइटी भी होती है और वो लोगों से मिलने से कतराते हैं.