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कोलकाता की मिट्टी से बन रहीं देवी प्रतिमाएं, बंगाली कारीगर बना रहे

पारंपरिक शेरावाली और सिंहासन वाली मूर्तियों की ज्यादा मांग, सार्वजनिक उत्सवों ने अभी से बुक की प्रतिमाएं

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बंगाल के कारीगर बना रहे हैं इको-फ्रेंडली मूर्तियां

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। 22 सितंबर से शुरू हो रहे देवी आराधना के पर्व को लेकर पूरे देश में उत्साह है। इस साल, उज्जैन में भी पंडालों और घरों में माता की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। शहर मेें दो मूर्ति निर्माताओं में से एक के यहां कोलकाता की गंगा मिट्टी से प्रतिमाएं बनाई जा रही है तो दूसरे के यहां बंगाल से आए कारीगर मिट्टी से विशेष प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं। इस बार माता की प्रतिमाओं में 5 से 7 फीट की मूर्तियों की सबसे ज्यादा मांग है, जिसमें मुख्य रूप से शेरावाली माता और सिंहासन पर विराजमान माता की प्रतिमाएं प्रमुख हैं।

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बंगाली कॉलोनी स्थित मृदा आकृति मूर्ति आर्ट के संचालक विजय पाल ने बताया कि भक्तों में इस बार विशेष उत्साह है और उन्हें दूर-दूर से मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं। उन्होंने कुल 100 प्रतिमाएं बनाई हैं, जिनमें से 80 पहले ही बुक हो चुकी हैं। विजय पाल ने बताया कि सभी कारीगर बंगाल से बुलाए गए हैं। मूर्ति निर्माण के लिए इंदौर और पंजाब से सफेद और पीली मिट्टी मंगाई गई है, जिसकी कीमत 3800 रुपए प्रति क्विंटल है। बांस असम से और घास करनाल (हरियाणा) से मंगवाई गई है। डेढ़ महीने से 12 कारीगर प्रतिमाएं बना रहे हैं, जिनका कुल मेहनताना 6 लाख रुपए से अधिक होगा। उन्होंने यह भी बताया कि सभी मूर्तियां इको-फ्रेंडली हैं।

बंगाली कॉलोनी की आकर्षण प्रतिमाएं पहले ही बुक

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पंचमुखी काली माता- 13 फीट की यह प्रतिमा रतलाम के एक मंडल ने 60 हजार रुपए में बुक की है।

तराना की महारानी- 13 फीट की यह प्रतिमा, जिसमें पीछे नृसिंह भगवान भी हैं, 55 हजार रुपए में बुक हुई है।

सिंहासन पर विराजित माता- आगर नाके के एक मंडल ने 12 फीट की यह प्रतिमा 55 हजार रुपए में बुक कराई है।

 विशेष थीम पर प्रतिमा-बंगाली कॉलोनी में हर साल की तरह इस बार भी एक खास थीम पर 20 फीट चौड़ी और 12 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार की जा रही है, जिसका खुलासा अभी नहीं किया गया है।

शांति नगर में गंगा मिट्टी से बन रही प्रतिमाएं
शांति नगर स्थित जयश्री आर्ट्स के संचालक केतन परिहार ने बताया कि वे केवल कलकत्ता की गंगा मिट्टी से ही प्रतिमाएं बना रहे हैं। उन्होंने सभी मंडलों से मिट्टी की प्रतिमाएं ही स्थापित करने की अपील की है, ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे। परिहार ने बताया कि उनके यहां 10 इंच से लेकर 15 फीट तक की पांच हजार मूर्तियां बन रही हैं, जिनमें से 3 हजार मूर्तियां तैयार हो चुकी हैं और 80त्न बुक हो गई हैं। मूर्ति निर्माण के लिए कलकत्ता से 4 क्विंटल गंगा मिट्टी 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से बुलाई गई है। 15 कारीगरों द्वारा ये प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं, जिनका मासिक मेहनताना 5 लाख रुपए है। इनमें कलकत्ता, उज्जैन और इंदौर के कारीगर शामिल हैं।

शांति नगर से राजस्थान तक जाएंगी प्रतिमा

झूले पर विराजित माता- जावरा के एक मंडल ने 12 फीट की यह प्रतिमा 50 हजार रुपए में बुक की है।

शेरावाली माता- राजस्थान के एक मंडल ने 8 फीट की यह प्रतिमा 21 हजार रुपए में बुक की है।

बाल स्वरूप माता- ढाई फीट की यह प्रतिमा विशेष आकर्षण का केंद्र है, जो माता के बाल स्वरूप को दर्शाती है। देसाई नगर के एक मंडल ने इसे 22 हजार रुपए में बुक किया है।

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