14 जनवरी को मकर संक्रांति पर निभाई जाएगी परंपरा, पतंग से सजेगा बाबा का दरबार
शिप्रा में लगाएंगे आस्था की डुबकी दान-पुण्य करेंगे
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। मकर संक्रांति पर्व पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में उत्सव का उल्लास छाएगा। तडक़े भस्मार्ती में तिल का उबटन लगाकर बाबा को गर्म जल से स्नान करवाया जाएगा। इसके बाद नए वस्त्र एवं आभूषण धारण करवाकर दिव्य स्वरूप में शृंगार कर तिल्ली से बने पकवान अर्पित किए जाएंगे। इस मौके पर मंदिर की फूलों और पतंग से विशेष साज-सज्जा की जाएगी। दरअसल, ज्योतिर्लिंग की पूजन पंरपरा में मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान महाकाल को तिल के उबटन से स्नान करवाने की परंपरा है।
इधर, संक्रांति पर मंगलवार सुबह 8.45 बजे सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के उत्तरायण होने से दिन बड़े होने लगेंगे। इसके साथ ही श्रद्धालु मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान कर सूर्य को अघ्र्य देंगे। साथ ही मंदिरों में दर्शन के बाद तिल, गुड़, खिचड़ी का दान किया जाएगा। साथ ही गायों को चारा खिलाया जाएगा। सूर्य के उत्तरायण होते ही खरमास समाप्त होगा और मांगलिक कार्यों की शुभ शुरुआत होगी।
शिप्रा में आया नर्मदा का पानी
मंगलवार को आने वाले मकर संक्रांति पर्व पर स्नान के लिए सोमवार को शिप्रा में नर्मदा का पानी आ गया। सफाई के चलते घाट भी चकाचक हो गए जिससे पानी में घाट की सीढिय़ां साफ नजर आ रही थी। पौषी पूर्णिमा के चलते श्रद्धालुओं ने मां शिप्रा में आस्था की डुबकी लगाई और महिलाओं ने दीपदान भी किया।
भगवान सूर्य की सवारी निकलेगी
त्रिवेणी स्थित नवग्रह शनि मंदिर में संक्रांति पर भगवान सूर्यदेव की सवारी निकलेगी। सुबह 11 बजे इसकी शुरुआत होगी। इसमें 108 बटुक ब्राह्मणों द्वारा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाएगा। भगवान सूर्यदेव की प्रतिमा को पालकी में विराजित कर त्रिवेणी नदी तक ले जाने की परंपरा निभाई जाएगी। इसके बाद सवारी पुन: मंदिर आएगी।
सांदीपनि आश्रम में होगी सजावट
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली सांदीपनि आश्रम में उत्सव मनाया जाएगा। सुबह भगवान को तिल के जल से स्नान करवाया जाएगा। इसके बाद तिल के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। मंदिर में पतंग से आकर्षक सजावट की जाएगी। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचेंगे।