पाप से मुक्ति दिलाता है पापमोचिनी एकादशी, जानें व्रत का महत्व और पूजा विधि

By AV News 1

चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णुजी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करता उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही व्यक्ति अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं पापमोचिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा। साथ ही जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि।

कब है पापमोचिनी एकादशी का व्रत

एकादशी तिथि का प्रारंभ सुबह 25 मार्च को 5 बजकर 6 मिनट पर होगा। वहीं,एकादशी तिथि का समापन 26 मार्च दोपहर में 3 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी।
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 25 मार्च को ही पापमोचनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। वहीं, व्रत का पारण अगले दिन यानी 26 मार्च को दोपहर में 12 बजे के बाद किया जाएगा।

पापमोचनी एकादशी पारण समय

सामान्य जन पापमोचनी एकादशी का पारण 26 मार्च के दिन करेंगे। पारण का समय 26 मार्च को दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 08 मिनट के मध्य तक है। इस दौरान साधक विधिवत लक्ष्मी नारायण की पूजा करें। इसके बाद अन्न का दान कर एकादशी का व्रत खोलें।

पापमोचिनी एकादशी का महत्व

पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं। साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को धन संपत्ति का सुख मिलता है। साथ ही माता लक्ष्मी का घर में वास होता है।

पापमोचिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि

1. ब्रह्म मुहूर्त में उठें- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

2. सूर्य अर्घ्य दें- सूर्य देव को जल अर्पित करके व्रत का संकल्प लें.

3. मंदिर की सफाई करें- घर के मंदिर को अच्छे से साफ करें और वहां दीप जलाएं.

4. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अभिषेक करें- गंगाजल से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को स्नान कराएं.

5. वस्त्र और श्रृंगार अर्पित करें – भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें और माता लक्ष्मी के श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं.

6. भोग लगाएं – भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को मिठाई और फल का भोग अर्पित करें.

7. व्रत कथा का पाठ करें – पापमोचिनी एकादशी की कथा पढ़ें और पूरी श्रद्धा से भगवान की आरती करें.

8. दान करें – जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र और दान-पुण्य करें, इससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है.

क्या करें और क्या न करें

भगवान विष्णु की पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति से करें.

इस दिन सात्विक आहार ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.

दान-दक्षिणा करें और जरूरतमंदों की सहायता करें.

झूठ बोलने और किसी का दिल दुखाने से बचें.

नकारात्मक विचारों से दूर रहें और व्यर्थ की चर्चाओं से बचें.

इस दिन लहसुन-प्याज या तामसिक भोजन न करें.

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