436 करोड़ का सीवरेज प्रोजेक्ट 6 साल बाद भी अधूरा

By AV News

बारिश के कारण खुले चैंबर और निर्माण कार्य से हो सकती है परेशानी

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शहर में सिवरेज लाइन बिछाने का 436 करोड़ का सीवरेज प्रोजेक्ट छह साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। बारिश का मौसम शुरू होने के कारण निर्माण कार्य से कई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। इसलिए, आज बुधवार दोपहर को महापौर मुकेश टटवाल ने निगम और पीएचई अधिकारियों की उपस्थिति में बैठक बुलाई है, जिसमें अधूरे कामों को लेकर सवाल जवाब किए जाएंगे और काम पूरा न होने के कारण पूछे जाएंगे।

करीब छह साल पहले 2017 में अमृत मिशन 1.0 के तहत 436 करोड़ लागत का सीवरेज प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। तब लोगों को उम्मीद बंधी थी कि शहर का सिवरेज सिस्टम जल्द बेहतर हो जाएगा लेकिन सात साल बाद भी यह पूरा नहीं हो सका है। नगर निगम और टाटा प्रोजेक्ट्स कंपनी के बीच तय हुआ था कि टाटा पहले दो वर्ष (नवंबर 2019 तक) शहर के 54 में से 35 वार्डों में 432 किलोमीटर लंबी भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन और नदी किनारे 15.10 किलोमीटर लंबी ट्रंक मैन पाइपलाइन बिछाकर 60 हजार घरों में कनेक्शन जोड़ेगी। प्रोजेक्ट के तहत सुरासा में 92.5 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। कई परेशानियों के कारण प्रोजेक्ट पिछड़ता चला गया। अब भी इसका काम बाकी है। हालांकि टाटा प्रोजेक्ट्स को कई व्यवहारिक समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है।

आज साफ होगी स्थिति
सिवरेज लाइन को लेकर अभी स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है। खुद पीएचई समिति के प्रभारी प्रकाश शर्मा को भी यह पता नहीं कि कितनी लाइन डाली जा चुकी है और कितनी बाकी है। बुधवार सुबह 11 बजे से हो रही बैठक में टाटा प्रोजेक्ट द्वारा स्थिति साफ की जाएगी।

540 किमी लंबी पाइपलाइन नेटवर्क बिछाने का था टारगेट
शिप्रा शुद्घि और शहर को खुले नाले-नालियों से मुक्त के लिए निगम ने 6 नवंबर 2017 को शहर में भूमिगत सीवरेज पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू कराया था। सर्वे, पाइपलाइन डिजाइन की मंजूरी, कोर्ट में लगी जनहित याचिका और आम चुनाव की वजह से प्रोजेक्ट में देरी हुई। तय हुआ था कि कंपनी नवंबर-2019 तक शहर में 540 किमी लंबी पाइपलाइन का नेटवर्क बिछाएगी और सुरासा में ट्रीटमेंट प्लांट बनाएगी। कंपनी अब तक 200 किमी किलोमीटर के आंकड़े तक भी पहुंच नहीं सकी है। ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी पूरा नहीं हो सका है। शिप्रा नदी के किनारे।लाइन बिछाने का काम चल रहा है।

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