अक्सर फूट जाते हैं चैंबर, घाटों पर फैली गंदगी, श्रद्धालु परेशान
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहर के दूषित पानी की सीवरेज लाइन के चैंबर एक बार फिर रामघाट पर फूट गए। नतीजतन घाट पर गंदगी फैल गई और सारा पानी शिप्रा में जा मिला। स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ा। घटना के विरोध में तराना के विधायक और लोकसभा चुनाव में उज्जैन से कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार रामघाट पहुंचे। व्यवस्थाओं को आड़े हाथों लिया।
सोमवार रात गंदा पानी सदावल ट्रिटमेंट प्लांट तक पहुंचाने के लिये रामघाट के किनारे से डाली गई पाइप लाइन चौक हो गई और चैम्बर फूट गये। चैम्बरों से पानी के फव्वारे निकलना शुरू हुए। मंगलवार सुबह तक गंदा पानी शिप्रा में मिलता रहा।
क्षेत्र के नालों का पानी बहता है लाइन में
सिंहस्थ 2016 के पूर्व नगर निगम द्वारा नालों का पानी शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिये योजना बनाई गई थी जिसके अंतर्गत शिप्रा नदी के किनारे लालपुल, जयसिंहपुरा, रूद्रसागर की ओर से आने वाले नालों को पाइप लाइन के माध्यम से सदावल ट्रिटमेंट प्लांट तक ले जाना था। इसी के लिए रामघाट के किनारे सीवरेज लाइन बिछाई गई थी। इस लाइन के चौक होने से अक्सर गंदा पानी चैम्बरों से निकलकर नदी में मिल जाता है।
इस वजह से चैम्बर फोड़कर फव्वारों की तरह निकला नालों का पानी
दो दिन पूर्व अक्षर विश्व द्वारा शिप्रा में मिल रहा नालों का पानी शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी जिसमें बड़े पुल के पास इसी पाइप लाइन के ओवर फ्लो व चौक होने की जानकारी पीएचई अफसरों को दी गई थी। खास बात यह कि पाइप लाइन के चैम्बर के पास लाइन चौक होने पर पानी रोकने के लिये बनाये गये चाबी वाले पाइंट को खोलकर किसी व्यक्ति द्वारा उसमें पत्थर फंसा दिया गया था। यहीं से पानी आगे की तरफ नहीं बढ़ रहा था और परिणाम यह हुआ कि पाइप लाइन में पीछे से आ रहे पानी का दबाव नदी किनारे के चैम्बर झेल नहीं पाये और बीती रात करीब 9 बजे एक के बाद एक 4 चैम्बर फूट गये जिनमें से नालों का पानी फव्वारों की तरह बहने लगा।
समाधान के लिये करना होंगे भागीरथी प्रयास
शासन द्वारा शिप्रा नदी में दूषित पानी मिलने से रोकने के लिये किये गये सारे प्रयास विफलता की कहानी स्वयं कह रहे हैं। सच्चाई यह है कि कागजों पर बनाई गई योजनाएं जमीनी हकीकत पर बदल रही हैं, मोक्षदायिनी शिप्रा में दूषित पानी देखकर श्रद्धालु आहत
हैं ऐसे में कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियां याद आती हैं…
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
परमार ने व्यवस्थाओं को आड़े हाथों लिया
शिप्रा नदी में मिल रहे नालों के पानी की सूचना मिलने के बाद कांग्रेस विधायक महेश परमार सुबह शिप्रा नदी के उदासीन, गंधर्व घाट पहुंच गये। यहां चैम्बर से निकल रहे नालों के पानी के फव्वारे में बैठकर विरोध जताया। परमार ने कहा कि सही तरीके से व्यवस्थाओं का संचालन नहीं होने की वजह से आए दिन शिप्रा में गंदा पानी मिलता है, इससे मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान करने आने वालों की आस्था प्रभावित होती है।
विधायक परमार ने करीब 2 घंटे तक चैम्बर से निकल रहे फव्वारों के दूषित पानी में बैठकर प्रदेश व सरकार सरकार की नीतियों का विरोध किया। उनका कहना था कि सभी को मोक्षदायिनी मां शिप्रा के पानी को पुन: स्वच्छ और निर्मल करने के लिये आगे आना चाहिये। विधायक परमार ने नदी में उतरकर गंदे पानी में ही स्नान किया।
दूषित व नालों का पानी मिलने से अनजान श्रद्धालु लगाते रहे डुबकी
प्रतिदिन की तरह आज भी हजारों की संख्या में देशभर के श्रद्धालु नदी में स्नान, पूजन, आचमन और तर्पण के लिये पहुंचे। अनेक लोग अपने परिवार, महिला, बच्चे, बुजुर्गों के साथ नदी में नहाने आये थे। यह लोग नदी में कान्ह का दूषित पानी स्टोर होने या पाइप लाइन फूटने से सीधे नदी में मिल रहे नालों के दूषित पानी से अनजान थे। नाले के पानी से निकलकर लोग रामघाट की तरफ जा रहे थे और नदी में डुबकियां लगा रहे थे।
इनका कहना
दानीगेट छोटी रपट के पास गंभीर की लाइन फूटी थी। गंभीर की पाइप लाइन सीवरेज के अंदर से फूटी इस कारण चैम्बरों से पानी ओवरफ्लो हो गया। इस लाइन को सुधार दिया गया है और अब चैम्बरों से सामान्य तरीके से पानी बह रहा है।-एन.के. भास्कर, कार्यपालन यंत्री पीएचई