राजनीति में सौजन्यता के ‘प्रभात’ का सूर्य अस्त हुआ

मध्यप्रदेश की खुरदरी राजनीति में सौम्य और सौजन्यता की राजनीति करने वाली पीढ़ी के लगभग अंतिम प्रतिनिधि थे प्रभात जी यानी भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मध्यप्रदेश भाजपा के लोकप्रिय अध्यक्ष रहे प्रभात झा।
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सार्वजनिक जीवन मे निरंतर कर्म के सिद्धांत पर चलने वाले प्रभात जी ने कभी अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं की। 1992 में ग्वालियर से भाजपा के मीडिया प्रभारी के रूप में भोपाल आने वाले प्रभात जी ने अपनी कार्यप्रणाली से राजनीति, मीडिया, समाज मे ऐसे सम्बन्ध बनाए की उनकी सर्व स्वीकार्यता इतनी हो गई कि उन्हें पार्टी को मुख्यधारा में लाना पड़ा और वे अपने परिश्रम और पराक्रम से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी। प्रभातजी भाजपा के वरिष्ठ नेता अटलबिहारी वाजपेयी से प्रभावित रहे और अटलजी को आदर्श मानकर उनके मार्गदर्शन में राजनीति का सफर आगे बढ़ाया।
तरुण भारत नागपुर और स्वदेश ग्वालियर से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत कर प्रभात जी से राष्ट्रवादी पत्रकारिता को व्याकरण और स्वीकार्यता प्रदान की। संघ कार्य में भी वे पूरे मनोयोग से जुटे रहे। हिंदी, अंग्रेजी, मराठी भाषा पर एकाधिकार रखते हुए खूब लिखा। किताबें लिखीं, लेख लिखे।
कुशाभाऊ ठाकरे, प्यारेलाल खंडेलवाल, सुंदरलाल पटवा, कैलाश सारंग, सुमित्रा महाजन के बेहद करीबी रहे। संघ के कई वरिष्ठ प्रचारकों का उन्हें निकट सानिध्य मिला। मध्यप्रदेश-दिल्ली और देश के अनेक प्रान्तों में भाजपा का कार्य किया। उनके उल्लेखनीय कार्यों में भाजपा और मीडिया के संबंधों की प्रगाढ़ता को याद करना जरूरी है। प्रभात जी ने मीडिया प्रभारी पद को अलंकृत कर उसकी उपयोगिता और प्रभाव को स्थापित किया।
भाजपा के अलावा उनके कांग्रेस सहित सभी दलों में बहुत अच्छे संबंध रहे। एक समय पटवा जी और दिग्विजयसिंह दोनों के भी प्रिय रहे। बिहार जैसे राज्य से ग्वालियर में जीवनयापन के लिए बसे श्री झा भाजपा के कार्यकर्ता, पत्रकार सभी की चिंता करते थे। संकट में काम आना उनके स्वभाव में था। मध्यप्रदेश की राजनीति में सौम्य, सौजन्यता की राजनीति करने वाले विरले राजनेता प्रभात जी का जाना सार्वजनिक जगत की अपूरणीय क्षति है। बाबा महाकाल के परम भक्त प्रभात जी श्रावण मास में उन्हीं में विलीन हो गए। सादर नमन। – प्रकाश त्रिवेदी