महिला सैन्य अधिकारियों को सेवामुक्त न किया जाए: कोर्ट

उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए, सेवाओं के उपयोग का समय
नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से फिलहाल उन महिला सैन्य अधिकारियों को सेवामुक्त नहीं करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने स्थाई कमीशन (पीसी) नहीं दिए जाने को चुनौती दी है। ‘आपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई के बाद बने हालात के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी उनके (महिला सैन्य अधिकारियों) साथ खड़े होने और उनकी सेवाओं का उपयोग करने का समय है।
जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के तहत सेना में भर्ती होने वाली 69 महिला अधिकारियों की याचिकाओं को 6 अगस्त में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई होने तक सैन्य अधिकारियों को सेवामुक्त करने पर रोक लगाते हुए कहा कि उनका मनोबल नहीं गिराया जाना चाहिए।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने याचिका का विरोध किया
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) भाटी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि सेना को युवा अधिकारी चाहिए और हर साल सिर्फ 250 अधिकारियों को स्थाई कमीशन दिया जाना है। उन्होंने अधिकारियों को सेवामुक्त करने पर रोक नहीं लगाने का आग्रह किया था।