टीएंडसीपी में बन रहा शहर की तरह जोनल प्लान

सिंहस्थ 2028 की तैयारी : मेला क्षेत्र को चार हिस्सों में बांटकर सभी सुविधाओं का प्रावधान
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन सिंहस्थ-2028 को लेकर तैयारियां कागजों पर उतरने लगी है। शिप्रा शुद्धिकरण का कार्य धरातल पर आने के बाद अन्य विभागों की योजनाओं पर मंथन अंतिम चरण में 12 विभागों की टास्क फोर्स का अनुमोदन होने के बाद शेष प्रक्रिया प्रारंभ होगी। मेला क्षेत्र को चार हिस्सों बांट कर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) जोनल प्लान बनाएगा। इस पर काम चल रहा है।
सिंहस्थ 2028 के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) शहरों की तरह पूरे सिंहस्थ क्षेत्र का जोनल प्लान बनाएगा। इस जोनल प्लान में पूरे मेला क्षेत्र को चार उप नगरों में बांट कर सभी सुविधाओं का प्रावधान किया जाएगा। हर अखाड़ा क्षेत्र का भी अलग-अलग प्लान बनेगा। सिंहस्थ 2028 की तैयारी के काम धरातल पर काम नजर आने लगे हैं। उज्जैन में क्षिप्रा शुद्धिकरण का काम शुरू हो चुका है।
कान्ह नदी का जल सीधे उज्जैन की सीमा से बाहर कर दिया जाएगा। फिलहाल सिंहस्थ से संबंधित 2500 करोड़ के काम या तो चल रहे हैं या उनके टेंडर हो गए हैं। शुरुआत में जिन कामों के टेंडर हुए थे उनमें उज्जैन में लगभग 28 किमी का टनल प्रोजेक्ट शामिल है। हैदराबाद की निजी कंपनी ने उज्जैन-इंदौर सीमा पर लगभग 200 मीटर टनल का काम कर लिया है। क्षिप्रा स्टोरेज प्रोजेक्ट की डीपीआर बन चुकी है। इसे कैबिनेट में लाकर स्वीकृत ली जाएगी। इसके बाद टेंडर जारी होंगे।
आईटी-मॉनिटरिंग के लिए निविदा
सरकार की मंशा है कि सिंहस्थ के कार्यों की समीक्षा प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट और आईटी आधारित व्यवस्थाओं के माध्यम से की जाए। इसके लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम के टेंडर खुल चुके हैं। तकनीकी और वित्तीय जांच की प्रक्रिया में हैं। यह एजेंसियां नगरीय प्रशासन विभाग के साथ मिलकर सिंहस्थ के कामों में कोआर्डिनेशन करेंगी।
शिप्रा के लिए यह काम
प्रदेश सरकार सिंहस्थ के पहले शिप्रा को साफ और प्रवाहमान रखना चाहती है। इसके लिए विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
- क्षिप्रा स्टोरेज प्रोजेक्ट में वर्षा का जल सिलारखेड़ी जलाशय में इक_ा करने के बाद इसे शिप्रा में भेजा जाएगा। इससे नदी को प्रवाहमान रखा जाएगा।
- शिप्रा में मिलने वाले दूषित जल को रोकने के लिए उज्जैन, इंदौर, देवास और सांवेर में एसटीपी प्लांट बनने हैं। इंदौर में बनने वाले 568 करोड़ के प्लांट की डीपीआर बन चुकी है।
- इंदौर में ही कान्ह के दूषित जल की सफाई के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत 185 एमएलडी क्षमता वाला टेंडर फाइनल हो चुका है।
- उज्जैन में अमृत – 2 के तहत बनने वाले 278 करोड़ के प्लांट के लिए टेंडर जल्द फाइनल होंगे।
- 52 करोड़ से देवास में बनने वाले प्लांट के टेंडर प्रक्रिया में हैं, अगस्त में फाइनल होंगे।
टास्क फोर्स बना रही है प्रतिवेदन
सिंहस्थ 2028 के लिए 12 विभागों की टास्क फोर्स द्वारा प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। सिंहस्थ क्षेत्र के विस्तार और भूमि उपयोग के नए विकल्प पर विचार करने के लिए 12 विभागों की टास्क फोर्स का गठन किया गया है। टास्क फोर्स वर्ष 2004 और 2016 में हुए सिंहस्थ की संपूर्ण मेला क्षेत्र की योजना, भूमि आवंटन और आरक्षण के अभिलेखों का परीक्षण करके प्रतिवेदन तैयार करने में जुट गया है। टास्क फोर्स सिंहस्थ में भूमिका निभाने वाले सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव के साथ उज्जैन कमिश्नर, महानिरीक्षक, कलेक्टर और एसपी को शामिल किया है।