वर्षों से चल रहा मरीजों को रैफर करने का गौरखधंधा
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:संभाग के सबसे बड़े शासकीय जिला अस्पताल में मरीजों को शहर के कतिपय निजी अस्पताल उपचार के लिए भेजने का खेल जारी है। जबकि जिला प्रशासन के निर्देश हैं कि बहुत ही क्रिटिकल स्थिति में निजी अस्पताल रैफर किया जाए, अन्यथा शासकीय एम व्हाय हॉस्पिटल, इंदौर रैफर किया जाए। मरीजों को निजी अस्पताल में ले जाने को लेकर 108 की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में बनी हुई है।
जिला अस्पताल परिसर में कतिपय डॉक्टर्स एवं पेरा मेडिकल स्टॉफ के बीच से लग रहे आरोपों में यह दावा किया जा रहा है कि इस घालमेल की रिकार्डिंग जिला अस्पताल परिसर के चप्पे-चप्पे में लगे सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर में दर्ज है। इशारा करते हैं कि जिम्मेदारों को इस बात की जानकारी होने के बाद भी वे मुंह फेरे हुए हैं। उनके अनुसार ऐसा तकरीबन रोजाना होता है।
वे यह भी बताते हैं कि जो मरीज तहसीलों में या राष्ट्रीय/राज्य मार्ग पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, उन्हें भी कथित रूप से 108 के द्वारा सीधे निजी अस्पताल पहुंचा दिया जाता है। यदि एक वर्ष में अस्पताल से रैफर मरीजों की जानकारी निकाली जाए तो ऐसे मामले भी सामने आएंगे, जिनमें मरीज अस्पताल पहुंचा ही नहीं, सीधे प्रायवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया गया और उसका जिला अस्पताल से रैफर टोकन कट गया।
अस्पताल के वार्डों में कतिपय चिकित्सकों के लिए दलाली करने वाले कई लोग घूमते रहते हैं
जिला अस्पताल में संभाग के जिलों के अंचलों तक गरीब लोग उपचार करवाने पहुंचते हैं। इनमें आयुष्मान कार्डधारी भी रहते हैं। ये सबसे साफ्ट टारगेट रहते हैं। अस्पताल के वार्डों में इनके लोग घुमते रहते हैं। जहां से भी जानकारी आती है कि फलां बेड पर मरीज गंभीर है या उसका ऑपरेशन होना है।
वे सीधे उपचार करने वाले डॉक्टर का नाम जानते हैं और परिजनों से चर्चा करके उनकी काउंसलिंग करते हैं। उन्हें बताते हैं कि आयुष्मान कार्ड होने के कितने लाभ हैं। निजी अस्पताल पहुंचने पर उपचार अधिक अच्छा होगा तथा दवा-गोली बाहर की ही देंगे। दोनों समय मरीज को देखने डॉक्टर आएगा, परिजनों को भी सेमी प्रायवेट कमरा होने से परेशानी नहीं आएगी। सरकार जब खर्चा उठा रही है तो क्यों पड़े हो यहां…. …? उन्हें उनकी घरेलू भाषा में सारी समझाइश देने के बाद कान में मंत्र दिया जाता है- तुम डॉक्टर से पूछ लेना कि प्रायवेट में कहां उपचार करते हो? डॉक्टर मान जाएंगे………।
इनका कहना है:
सिविल सर्जन डॉ.पी.एन.वर्मा से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि कई शिकायतें आ चुकी है। इस संबंध में कलेक्टर को भी अवगत करवा चुके हैं। जब तक प्रशासनिक स्तर पर जांच नहीं बैठेगी और सख्त कार्रवाई नहीं होगी, इस प्रकार का गौरखधंधा बंद नहीं होगा।