उज्जैन : नगर निगम अध्यक्ष चुनाव की कवायद : भाजपा में चार दावेदार, अब भोपाल से मुहर का इंतजार

By AV NEWS

पर्यवेक्षक रायशुमारी के आधार पर नामों का पैनल देंगे सीएम और प्रदेश अध्यक्ष को

उज्जैन। नगर निगम अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को लेकर भाजपा में एक राय नहीं है। पार्टी ने भेजे गए पर्यवेक्षक ने भाजपा के स्थाीय नेताओं से चर्चा के बाद बुधवार को पार्षदों से रायशुमारी की। इसमें अध्यक्ष पद के लिए चार नाम उभर कर सामने आए है। किसी एक नाम पर राय नहीं बनने के बाद अब फैसला राजधानी भोपाल में होगा।

नगर निगम में भाजपा का पूर्ण बहुमत है और अध्यक्ष के लिए किसी भी जोड़तोड़ की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण मशक्कत और खींचतान की स्थिति बनी हुई है। यहीं कारण है कि अब नगर निगम अध्यक्ष उम्मीदवार का फैसला संगठनात्मक स्तर पर होगा। मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल के चेयरमैन आशुतोष तिवारी को पर्यवेक्षक बनाकर उज्जैन भेजा था।

पार्टी सूत्रों के अनुसार तिवारी ने मंगलवार को नगर निगम अध्यक्ष के संभावित प्रत्याशी को लेकर स्थानीय नेताओं से अनौपचारिक चर्चा की। इसके बाद बुधवार को दिनभर विधानसभा वार पार्षदों से रायशुमारी इसमें एकराय सामने नहीं आई है।

सूूत्रों की माने तो पर्यवेक्षक ने भाजपा के पार्षदों से अलग-अलग चर्चा की,लेकिन नामों को लेकर पार्षदों के बीच ही खींचतान सामने आई है। इसके बाद अब यह लगभग तय हैं कि पर्यवेक्षक तिवारी रायशुमारी के आधार पर नामों का पैनल बनाकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा को देंगे। इसके बाद संगठन और सत्ता के प्रमुखों द्वारा मुहर से नाम फायनल होगा।

जातिगत समीकरण भी मशक्कत की वजह

भाजपा को पूर्ण बहुमत के अलावा भी जाति/वर्ग स्थिति के कारण भी नगर निगम अध्यक्ष का एक नाम तय करने में मशक्कत करना पड़ रहीं है। महापौर मुकेश टटवाल अजा वर्ग से है। सांसद अनिल फिरोजिया आरक्षित वर्ग अजा से ही आते है। जिले में अन्य व पिछड़ा वर्ग के विधायक अधिक है। ऐसे जिला पंचायत अध्यक्ष भी क्षत्रिय वर्ग से बन चुकी है। इसके बाद अब स्थिति यह है कि जिले किसी भी प्रमुख पद पर ब्राह्मण नहीं है। ऐसे में पार्टी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती है।

यह है प्रमुख चार दावेदार

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पर्यवेक्षक तिवारी की पार्षदों से रायशुमारी के बाद नगर निगम अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के चार दावेदार सामने आए हैं। इनमें कलावती यादव, योगेश्वरी राठौर, रामेश्वर दुबे और प्रकाश शर्मा का नाम है। पार्टी के जानकारों का कहना है कि संगठन यदि पिछड़ा वर्ग/महिला वर्ग को ध्यान रखकर फैसला लेता है तो कलावती यादव, योगेश्वरी राठौर दोनों में से किसी एक का नाम फायनल किया जा सकता है, वहीं यदि ब्राह्मण वर्ग को मौका दिया तो रामेश्वर दुबे और प्रकाश शर्मा का नाम प्रमुख है। पार्टी किसे मौका देती है यह तो वक्त बताएगा, लेकिन चारों दावेदारों के मजबूत पक्ष के साथ कमजोर पक्ष भी है।

कौन कहां मजबूत, कहां कमजोर

कलावती यादव

मजबूत पक्ष: लगातार 6 बार की पार्षद। नगर निगम का दीर्घकालिक अनुभव। स्वच्छ छबि। उच्च शिक्षा मंत्री की बहन।

कमजोर पक्ष: पार्टी की परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देने की नीति। सभी गुटों में सर्वमान्य नेता नहीं।

योगेश्वरी राठौर

मजबूत पक्ष: वरिष्ठ पार्षद, स्वच्छ छबि।उच्च शिक्षित। एमआईसी सदस्य। स्थानीय संगठन के साथ प्रदेश संगठन का संरक्षण। पार्टी की गाइड लाइन का पालन।

कमजोर पक्ष: संगठन और सदन संचालन के अनुभव की कमी। पार्टी में एक ही गुट का समर्थन।

रामेश्वर दुबे

मजबूत पक्ष: संगठन के लिए हर मोर्चे पर सक्रिय। विपरीत स्थिति में भी सभी का समर्थन हासिल करने की कला। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के करीबी।

कमजोर पक्ष: सत्ता-स्थानीय संगठन में पकड़ नहीं। शहर के नेता-कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय की कमी। बगावती तेवर

प्रकाश शर्मा

मजबूत पक्ष: वरिष्ठ पार्षद होने के साथ-साथ राजनीति में अच्छा अनुभव। एमआईसी सदस्य। संगठन की लाइन का पालन।

कमजोर पक्ष: सत्ता के एक गुट का समर्थन नहीं। वाचाल व्यवहार। कईं नेताओं से तालमेल नहीं।

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