खली-तेल व्यापार की आड़ में गड़बड़ी…, फर्जी फर्म्स बनाकर 198 करोड़ रुपए का घोटाला…

By AV NEWS

शिकायतकर्ता भी निकला डिफॉल्टर, 80 लोगों के खिलाफ प्रकरण

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:खली-तेल व्यापार की आड़ में गड़बड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया है। इसमें फर्जी फर्म्स बनाकर १९८ करोड़ का घोटाला किया गया है। नीमच-इंदौर से जुड़े इस मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) उज्जैन ने 80 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। खास बात यह कि इसमें शकायत कर्ता भी निकला डिफॉल्टर निकला है।

ईओडब्ल्यू उज्जैन के निरीक्षक अनिल कुमार शर्मा ने बताया गया कि अग्रवाल सोया एक्स्ट्रेक्ट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी धामनिया नीमच, उसके संचालकों ने वर्ष 2017 से 2022 के बीच अपनी कंपनी अग्रवाल सोया एक्स्ट्रेक्ट प्रायवेट लिमिटेड नीमच के संचालक के रूप में फर्जी ट्रांसपोर्ट नारायण फाईट केरियर 35 आदर्श नगर इंदौर के प्रोपाईटर व अन्य के साथ फर्म के संचालक एवं जीएसटीआईएन के धारक (कपिल ट्रेडिंग कंपनी),(गुरु कृपा इंटरप्राईजेस ),फर्म एके कार्पोरेशन कलिंगा ओवरसीस, फर्म सनलाईट इंटरनेशनल फर्म सुपर सोपी मार्ट फर्म निमिष इंटरप्राईजेस फर्म अमर ज्योति इंटरप्राईजेस फर्म श्री मित्तल कार्पोरेशन, फर्म समृद्धि ट्रेडर्स फर्म श्रीनाथ कार्पोरेशन फर्म जीवन गर्ग ओवरसीज फर्म लॉजिक इंडिया फर्म हेन्ज ट्रेड लिंक्स फर्म ग्रीन इंडस्ट्रियल फर्म आरआर इंटरप्राईजेस फर्म ओम इंटरप्राईजेस, फर्म मेहुल ट्रेडर्स फर्म राम ट्रेडिंग फर्म आशिर्वाद इंटरनेशनल फर्म आर के इंटरप्राईजेस फर्म सूर्य किरण ट्रेडिंग कंपनी फर्म श्री गणपति इंटरप्राइजेस फर्म भारत सेल्स, फर्म अग्रवाल इंटरप्राईजेस फर्म सुमित्रा ट्रेडिंग कंपनी, फर्म ओम ट्रेडिंग कंपनी, फर्म एमेज फर्म इंटरप्राईजेस दिव्य ज्योति इंडस्ट्रीज लिमिटेड, एसडीएम एग्रो इंडस्ट्रीज, फर्म आशो कुमार रामानंद, कीर्ति ट्रेडर्स फर्म एमएस कॉर्पोरेशन फर्म श्री शांती इंटरप्राईजेस फर्म सांईनाथ इंटरप्राईजेस फर्म मां शीतला ट्रेडर्स के नाम से कूटरचित बिल, इनवॉईस बिल्टी तोल रसीदे आदि कूटरचित दस्तावेज तैयार कर सोयाबीन ,सोयाबीन डीओसी और सोयाबीन तेल का 1983624240 /- रुपये (एक अरब इठ्यानवे करोड़ छत्तीस लाख चौबिस हजार दौ सौ चालीस रुपये) का फर्जी व्यापार करना दर्शाकर कपटपूर्वक 99867707 रुपये (नौ करोड़ इट्यानवे लाख सडसट हजार सात सौ सात रुपये) का टेक्स क्रेडिट लेकर अवैध लाभ प्राप्त किया और शासन के साथ धोखाधड़ी की है ।

दो साल पहले हुई थी शिकायत

ईओडब्ल्यू निरीक्षक अनिल शुक्ला ने बताया कि 2019 में सीजीएसटी (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स) को अग्रवाल सोया एक्स्ट्रेक्ट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी (धामनिया, नीमच) के खिलाफ टैक्स चोरी की शिकायत मिली थी। ईओडब्ल्यू टीम इसकी जांच कर ही रही थी। शासन को नुकसान पहुंचाने के मामले में गबन, धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। बड़ी बात यह है कि ईओडब्ल्यू ने शिकायत करने वाले इंदौर के बिजनेसमैन को भी आरोपी बनाया है। अग्रवाल सोया कंपनी के मालिक गोपाल सिंघल, दीपक सिंघल सहित 80 लोगों ने धोखाधड़ी के लिए फर्जी कंपनियां बना रखी हैं। गोपाल सिंघल, शालिनी सिंघल, दीपक सिंघल, नवनीत गर्ग ने बोगस फर्म के बिल लगाकर फर्जीवाड़ा करने के साथ ही 10 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी भी की।

कार्रवाई से बचने शिकायत की,जांच में खुद भी पकड़ा गया
निरीक्षक अनिल शुक्ला ने बताया कि आरोपियों ने फर्जी कंपनियां बनाने के लिए जिन्हें डायरेक्टर बताया, रिकॉर्ड में उनके नाम भी नकली हैं। मामले की शिकायत करने वाला इंदौर की कपिल ट्रेडिंग कंपनी का मालिक कपिल भी डिफॉल्टरों में शामिल निकला। कपिल की कंपनी भी फर्जी कंपनियों में शामिल है। उसने कार्रवाई से बचने के लिए शिकायत की थी। हालांकि, जांच में उसका झूठ पकड़ा गया। प्रकरण की जांच में सी.जी.एस.टी. उज्जैन द्वारा भी जांच की जा रही है। उपरोक्त कार्य में सीमा शर्मा सहायक लोक अभियोजन अधिकारी इकाई उज्जैन के साथ सहायक उप निरीक्षक अशोक राव प्रधान आरक्षक गौरव जोशी का सराहनीय कार्य रहा ।

एक्सपर्ट व्यू परेशानी उनको जिन्होंने नियम से माल क्रय किया

इस मामले में ऐसा लगता है कि अग्रवाल सोया के संचालकों ने अपने ही लोगों के साथ मिलकर योजनाबद्ध तरीके से जीएसटी की इनपुट क्रेडिट प्राप्त करने के मकसद से फर्जी पंजीयन प्राप्त कर उनके टैक्स इनवाइस के आधार पर शासन को बगैर टैक्स का भुगतान किए बिना इनपुट क्रेडिट प्राप्त की गई है जो कि जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है। ऐसे कृत्य के लिए उन सभी व्यक्तियों एवं अग्रवाल सोया के संचालकों को धारा १३२ के प्रावधानों के अंतर्गत अपराध की गंभीरता के आधार पर ६ माह से ७ साल तक की सजा का प्रावधान है।

धारा १२२ के अंतर्गत आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा। ऐसे मामले में यदि कर चोरी दो करोड़ से ज्यादा होने की स्थिति में तुरंत गिरफ्तारी भी हो जाती है और प्रथम दृष्टया अपराध होने पर न्यायालय कठोर निर्णय लेकर अपराधियों को जमानत देने से इनकार कर सकती है। अब इस मामले में सबसे ज्यादा उन क्रेता व्यवसायियों को परेशानी होगी जिन्होंने अग्रवाल सोया से वास्तव में नियम अनुसार माल क्रय किया है। ऐसी स्थित में विभाग अग्रवाल सोया के विक्रय बिलों को भी फर्जी बिल मानकर क्रेता व्यासासियों को इस क्रय पर इनपुट क्रेडिट देने से इनकार कर सकता है तब इन वास्तविक क्रेताओं को बिना अपराध के अतिरिक्त कर व ब्याज देना पड़ सकता है।-पी.के. दास कर सलाहकार

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