जिम्मेदार दोषारोपण में जुटे रहे अफसरों ने ‘पाप’ पानी में बहा दिया

लापरवाही शिप्रा में मछलियों की मौत से बवाल

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शिप्रा नदी में हजारों मछलियां मौत का शिकार हो गई। सभी को पता है कि उनकी मौत का कारण नदी में मिलने वाला गंदा पानी है। मामला सामने आया तो महापौर सहित अधिकारी दोषारोपण में जुटे रहे। नदी की सफाई होनी थी लेकिन अफसरों ने स्टाप डेम खोलकर पानी छोड़ दिया और मछलियों की मौत का पाप पानी में आगे बहा दिया।

शिप्रा नदी के प्रदूषित पानी में हजारों मछलियां मरने के मामले में दोष किसका है? यह सभी को पता है, लेकिन महापौर अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी इसके लिए सीवरेज लाइन का काम कर रही कंपनी को दोषी बताने में जुटे रहे। शिप्रा में लगातार गंदे नालों का पानी मिल रहा है। इससे नदी प्रदूषित हो रही है। यह सबको पता है इसके बावजूद नगर निगम और पीएचई ने कोई कदम नहीं उठाया।

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महापौर मुकेश टटवाल और पीएचई अधिकारियों का कहना है कि टाटा कंपनी सीवरेज का काम कर रही है और शिप्रा नदी के पास ही खुदाई के लिए एक स्टाप डेम पर पानी रोका और दूसरे को खोलकर पानी बहा दिया। ऐसे में पानी की कमी हो गई और प्रदूषित पानी में ऑक्सीजन कम होने के कारण मछलियां मर गई। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि टाटा ने पानी रोकने और छोडऩे का काम आखिर किसकी स्वीकृति लेकर किया और अधिकारियों ने स्वीकृति दी तो वे अधिकारी कौन और उन्होंने यह विचार क्यों नहीं किया कि नदी में पानी कम होने से मछलियों के जीवन को अधिक खतरा है। इतना ही नहीं बड़े पुल के नीचे स्टाप डेम से चक्रतीर्थ तक के हिस्से में नदी खाली हो गई, लेकिन नालों का गंदा पानी लगातार बहता रहा यही मछलियों की मौत का कारण बन गया।

महापौर ने भी टाटा पर डाल दी जिम्मेदारी

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शिप्रा नदी में नालों का पानी मिलने के साथ ही हजारों की संख्या में मछलियों के मरने का दोष महापौर मुकेश टटवाल ने सीवरेज का काम कर रही टाटा कंपनी और अधिकारियों पर डाल दिया है। मामले में जिम्मेदारों पर कार्रवाई के संबंध में महापौर का कहना है कि चूंकि आचार संहिता लगी हुई है। ऐसे में कुछ भी कहना और करना संभव नहीं है लेकिन ३ दिसंबर के बाद उच्च स्तर पर प्रयास कर कार्रवाई की जाएगी। महापौर इस मामले में वास्तविक दोष किसका है यह कहने से बचते रहे।

महापौर और अधिकारी पहुंचे शिप्रा किनारे

शिप्रा में हजारों की संख्या में मछलियों के मरने से मचे हाहाकार के बाद नगर निगम के अधिकारियों के साथ महापौर और अन्य जनप्रतिनिधि भी पहुंचे। यहां स्टाप डेम खोलकर पानी को बहाया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि पानी बहाने से पहले नदी से कचरा और मृत मछलियां निकालने पर विचार तक नहीं किया गया। यह सभी बहाव में आगे बह गईं। मछलियों के मरने से बवाल होने के बावजूद भी नदी की सफाई को लेकर योजना तो दूर विचार तक नहीं किया गया।

सफाई किए बगैर पानी बहा दिया
शिप्रा में मछलियों के मरने के घटना से हाहाकार मचने के बाद अधिकारियों ने फिर से अपनी चाल चली और इसमें महापौर सहित जनप्रतिनिधि भी उलझ गए। दरअसल अधिकारियों की सलाह पर गुरुवार को सुबह बड़े पुल के नीचे बने स्टाप डेम को खोल दिया गया। ऐसे में बड़े पुल से लेकर चक्रतीर्थ तक के नदी वाले हिस्से में गंदगी और मृत मछली बह गई। जानकारों का कहना है कि नगर निगम को कम से कम नदी की सफाई कराने के साथ मृत मछलियों को निकलवाना था लेकिन स्टाप डेम खोलने से सब गंदगी और मृत मछली आगे की ओर बह गई। इससे शिप्रा का अगला हिस्सा तो प्रदूषित ही रहने वाला है।

गंदे नालों को रोकने के प्रयास क्यों नहीं किए

पिछले चार माह से शिप्रा नदी में लगतार नालों को पानी मिल रहा है। यह सभी को पता है लेकिन जिम्मेदारों ने सीवरेज लाइन का काम चलने और अन्य तर्कों के साथ कहा कि कुछ दिनों की बात है फिर दिक्कत नहीं होगी, लेकिन नालों के पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के कोई प्रयास ही नहीं किए। भूखीमाता घाट से लेकर चक्रतीर्थ तक लगभग ५से ७ स्थानों से नालों का गंदा पानी नदी में मिल रहा है। इसके लिए नगर निगम और पीएचई ने कोई प्रयास ही नहीं किए।

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