उज्जैन: एक साल के इंतजार के बाद 21 अगस्त को खुलेंगे नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट
चार साल बाद फिर नागपंचमी के दिन महाकाल सवारी का भी संयोग
अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:पूरे एक साल के इंतजार बाद महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 21 अगस्त को नागपंचमी के दिन खुलेंगे और इस बार खास बात यह होगी कि भक्तों को महाकाल दर्शन नई टनल से होंगे। अधिकमास होने और नागपंचमी के दिन ही भगवान महाकाल की पांचवीं सावन सवारी का संयोग भी बन रहा है।
इस बार नागपंचमी पर उज्जैन में शिव भक्तों का सैलाब उमडऩे की संभावना है। महाकाल मंदिर परिसर में भक्तों की सुविधा के लिए बनाई जा रही 150 फीट लंबी भूमिगत टनल का काम भी पूरा होने आ गया है। इस कारण मंदिर प्रशासन नागपंचमी से टनल से भक्तों को महाकाल मंदिर में प्रवेश देने की तैयारी कर रहा है। टनल में आठ या दस कतारों के कारण श्रद्धालुओं को दर्शन भी जल्दी हो सकेंगे।
फिलहाल टनल में प्लास्टर का काम तेजी से चल रहा है और फ्लोरिंग में ग्रेनाइट पत्थर लगाने की तैयारी की जा रही है। कुल 290 फीट लंबी टनल में 138 फीट का हिस्सा रैंप जैसा बनाया जा रहा है। इस पर भी ग्रेनाइट पत्थर लगाए जाएंगे, जिससे टनल में दर्शनार्थियों को सुखद अनुभव होगा। दीवार पर भी व्हाइट और ब्लैक ग्रेनाइट लगाए जाएंगे। मंदिर के सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलचंद जूनवाल के अनुसार पूरी कोशिश है कि नागपंचमी से टनल शुरू कर दी जाए। गणेश मंडपम तक टनल का काम यूडीए द्वारा किया जा रहा है जबकि जूना महाकाल मंदिर परिसर के पास से बड़ा गणेश मंदिर की ओर टनल का काम स्मार्ट सिटी द्वारा किया जा रहा है।
बुधादित्य योग का भी संयोग
नागपंचमी पर इस बार अधिकमास के सावन सोमवार को होने के साथ बुधादित्य योग भी बन रहा।
ज्योतिषी पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार चित्रा नक्षत्र, शुभ योग, बव करण व कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में बुधादित्य योग भी होगा।
21 अगस्त को सूर्य व बुध सिंह राशि में रहेंगे। सिंह राशि के अधिपति स्वयं सूर्य हैं और वह बुध के मित्र है सूर्य व बुध की युति जब साथ में रहती है तो बुधादित्य योग बनता है।
पंडित डब्बावाला ने बताया चार साल पहले 2019 में भी नागपंचमी पर महाकाल सवारी का संयोग बना था।
महाकाल में नागचंद्रेश्वर मंदिर इसलिए खास
महाकाल मंदिर के शिखर की तीसरी मंजिल पर यह मंदिर है।
नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है।
माना जाता है दुनिया का यह इकलौता मंदिर है जहां शिवजी पूरे परिवार के साथ दशमुखी सर्प के साथ विराजित हैं। फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और मां पार्वती हैं।
नागचंद्रेश्वर की मूर्ति 11वीं शताब्दी की है जिसे नेपाल से मंगवाया गया था।