उज्जैन:जिला अस्पताल परिसर में फैला डेंगू

By AV NEWS

तीन कर्मचारी और पांच बच्चे हुए डेंगू के शिकार

सरकारी अस्पताल की लैब में सेम्पल लेने में आनाकानी, जांच रिपोर्ट मिल रही 7 दिनों बाद

उज्जैन।बदलते मौसम और रुक-रुक कर हो रही बारिश के बीच शहर में डेंगू और मलेरिया तेजी से पैर पसार रहा है। सैकड़ों लोग बीमार होकर प्रायवेट अस्पतालों में जांच और उपचार करा रहे हैं, जिला चिकित्सालय की हालत यह है कि परिसर में रहने वाले अस्पताल स्टॉफ के बच्चे और कर्मचारी डेंगू की चपेट में आकर बीमार पड़े हैं।

जिला अस्पताल के पीछे की ओर अस्पताल स्टॉफ के लोग अपने परिवार के साथ रहते हैं। यहां अस्पताल प्रबंधन द्वारा सफाई के इंतजाम नहीं किये गये हैं जबकि अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीजों के परिजनों द्वारा खाद्य सामग्री, चाय के डिस्पोजल सहित अन्य गंदगी भी बाहर फेंकी जा रही है जिसकी नियमित सफाई नहीं हो रही।

ड्रेनेज का पानी ओवरफ्लो होकर परिसर में फैला है। जिला अस्पताल के अफसर निर्धारित समय पर ड्यूटी पूरी कर अपने घरों को चले जाते हैं, लेकिन मुसीबत उस स्टाफ की हो रही है जो परिवारों के साथ यहीं परिसर में रहते हैं। गंदगी के कारण मच्छर पनप रहे हैं और लोगों को काटने से मलेरिया व डेंगू की चपेट में आ रहे हैं।

यह बच्चे हुए बीमार…अस्पताल परिसर में रहने वाले बच्चे रोहित नाहर, लग्नेश, हर्षिता, अमित, रूचिका डेंगू की चपेट में आये और जिला अस्पताल व माधव नगर अस्पताल में भर्ती होकर उपचार करा रहे हैं जबकि एक नर्स सहित दो अन्य लोग भी डेंगू से बीमार होकर उपचार करा रहे हैं।

यह है लैब की हालत….जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के ब्लड सेंपल लेकर यहीं पर जांच की सुविधा शासन द्वारा सुनिश्चित की गई है। बुखार आने पर डेंगू की संभावना के चलते डॉक्टर द्वारा लैब में ब्लड टेस्ट कराया जाता है, जहां वर्तमान में जांच को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। जिन बच्चों की डेंगू जांच पाजिटिव आई उनके परिजनों ने बताया कि हम सभी लोगों ने प्रायवेट लैब में जाकर 800 रुपये देने के बाद ब्लड टेस्ट कराया है। सरकारी अस्पताल की लैब में प्रतिदिन आने वाले सेम्पल की जांच नहीं होती। 7-8 सेम्पल एकत्रित करने के बाद जांच की जाती है जिसकी रिपोर्ट आने में ही 8 से 10 दिन लग रहे हैं।

सूचना मिलने पर ही हम पहुंचते दवा का छिड़काव करने

जिला अस्पताल परिसर में रहने वाले स्टाफ में डेंगू फैलने की सूचना मिलने के बाद मलेरिया विभाग के दो सदस्य यहां दवा का छिड़काव करने पहुंचे। कर्मचारियों ने घरों और आसपास दवा का छिड़काव किया और यहां रहने वाले लोगों से रजिस्टर में हस्ताक्षर करवाये। पूछताछ में कर्मचारियों ने बताया कि मलेरिया विभाग द्वारा बिना सूचना के कहीं भी दवा का छिड़काव नहीं किया जाता है। विभाग में पहुंचकर अफसरों को सूचना देना जरूरी है।

स्वस्थ होने के बाद मिली रिपोर्ट

ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट देने में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की स्थिति यह है कि अमित नाहर के परिजनों ने ब्लड सेम्पल लैब में दिया, लेकिन यहां जांच में आनाकानी होती देख उन्होंने प्रायवेट लैब में जाकर जांच कराई। दूसरे दिन डेंगू पाजिटिव रिपोर्ट मिलने पर उन्होंने रोहित का उपचार शुरू कराया। 7 दिन के बाद उसकी तबियत में सुधार हो गया जबकि जिला चिकित्सालय की लैब में दिये गये सेम्पल की रिपोर्ट 7 दिन बाद मिली जिसमें फोन पर बताया गया कि रोहित की डेंगू रिपोर्ट पाजिटिव है उसे अस्पताल में भर्ती करें, उसके परिजनों ने फोन करने वाले को जवाब दिया कि उसका इलाज करा चुके हैं।

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