उज्जैन : पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर किल्लत की आशंका बरकरार

By AV NEWS

डीलर और निजी तेल कंपनियों में खींचतान

उज्जैन। पेट्रोल-डीजल के दाम सोमवार को भी नहीं बदले। 36 दिनों से शहर में पेट्रोल के दाम 109 रुपये 02 पैसे और डीजल के 94 रुपये 26 पैसे पर ही स्थिर हैं। पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता को लेकर जरूर आशंकाएं लोगों के बीच तैर रही हैं। लेकिन डीजल पेट्रोल डीलरों का कहना है कि शहर में किल्लत नहीं है। शहर के लगभग सभी पेट्रोल पंपों पर ईंधन उपलब्ध है।

पेट्रोल-डीजल के कारोबार से जुड़े लोगों का दावा है कि शहर में डीजल-पेट्रोल की सप्लाई के हालात ठीक नहीं हैं। लेकिन इससे आम आदमी को परेशानी नहीं है। उसे जितना डीजल-पेट्रोल चाहिए उतना पंपों पर उपलब्ध है। शहर और आस-पास के लगभग सभी फिलिंग-स्टेशनों पर अभी पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता सामान्य दिख रही है, लेकिन भीतरखाने हालात चिंताजनक हैं।

डीलरों के पास जो भी स्टाक पड़ा हुआ है वह तेजी से समाप्त हो रहा है, लेकिन मांग के अनुपात में पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इस मामले में व्यवसायगत मजबूरी के चलते न तो पेट्रोल पंप संचालक खुले तौर पर कुछ कह रहे हैं और न ही डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी। उनको सप्लाई के लिए अग्रिम भुगतान करना पड़ रहा है। लेकिन डिपो से यह आश्वस्त नहीं कराया जा रहा कि सप्लाई कब तक मिल पाएगी। यह समस्या लोगों के बीच राशनिंग की चेष्टा बढ़ाने वाली है।

पार्ट-लोड का फार्मूला: पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन ने एक फार्मूला तैयार किया था। उसका कहना रहा कि पार्ट-लोड के लिए कम्पनियां सहमति प्रदान कर दें तो सभी पेट्रोल पंपों पर थोड़ा-थोड़ा प्रोडक्ट उपलब्ध रहेगा। इससे समस्या सतह पर नहीं आएगी और लोगों के बीच कोई नकारात्मक संदेश नहीं जाएगा।

प्रायवेट कंपनियों की ज्यादती

जानकारों का कहना है कि निजी तेल कंपनियों ने एक फार्मूला तैयार किया है। जिसके मुताबिक वो अपने डीलर्स को दिसंबर 2021 और इस साल की जनवरी व फरवरी में की गई कुल सप्लाई के औसत का 40 फीसदी ही ईंधन उपलब्ध कराएंगी।

अगर कोई डीलर इससे ज्यादा प्रोडक्ट उठाना चाहता है तो उसे 5 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त देना होगा। ऐसे में प्रायवेट कंपनियों के अधिकांश पंप संचालकों को अपने पंप ड्राई रखने पड़ रहे हैं। छोटे कारोबारियों के सामने तो रूटीन के खर्चे निकालने का संकट पैदा हो गया है। रिलायंस के अनेक पेट्रोल पंप ऐसे हैं जहां पेट्रोल महंगा बिक रहा है और लोग अनजाने में अपनी जेबें कटवा रहे हैं।

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