कौन सच बोल रहा एनएचएम या सिविल सर्जन…?

By AV NEWS

मामला जिला चिकित्सालय में लंबे समय से बंद पड़ी आयसीयू का

उज्जैन। जिला अस्पताल की बंद पड़ी आयसीयू को लेकर जिस प्रकार से सिविल सर्जन डॉ.पी.एन. वर्मा ने अक्षरविश्व में दावा किया, उसके उलट एनएचएम के इंजीनियर ने उल्टा सिविल सर्जन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस बीच संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल की आयसीयू बंद होने के कारण मरीज परेशान हो रहे हैं। स्टॉफ की कमी से जूझ रहे शासकीय माधवनगर की आयसीयू हॉफने लगी है। जिम्मेदारों को इन बातों से कोई मतलब नहीं है। वे केवल अपना सिक्का चलाने की जुगत में कॉलर ऊंची करके घुम रहे हैं।

यह है अंदर की बात

सिविल सर्जन डॉ.पी.एन. वर्मा ने अक्षरविश्व से चर्चा में (09 जनवरी, 23 के अंक में) दावा किया था कि उन्होंने आयसीयू का काम रूकवा दिया है। पता नहीं चल रहा है कि आखिर क्या हो रहा है? सितंबर माह से आयसीयू बंद है। अंदर पुरानी टाइल लगा दी गई है। कहीं-कहीं दिवार रंग-बिरंगी टाइलों से साख पर बट्टा लगा रही है। यह सब काम एनएचएम के भोपाल स्थित इंजीनियर कर रहे हैं। उनसे पूछेंगे कि आखिर यह हो क्या रहा है?

एनएचएम के इंजीनियर ने दिया जवाब-स्वयं से पूछो

इस प्रतिनिधि ने जब एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन), भोपाल के इंजीनियर मनोज शर्मा से बात की और सिविल सर्जन द्वारा किए गए दावों का जिक्र करते हुए वस्तुस्थिति जानना चाही तो वे बोले- मैं इस समय भोपाल में अपने चीफ इंजीनियर के समक्ष बैठा हूं और आपसे चर्चा कर रहा हूं। मध्यप्रदेश के सभी शहरों के जिला अस्पतालों में मरम्मत के लिए एनएचएम, भोपाल द्वारा धनराशि स्वीकृत की गई थी। उज्जैन के लिए भी राशि स्वीकृत हुई थी (चर्चा में उन्होंने राशि का खुलासा करने से इंकार कर दिया)। सिविल सर्जन डॉ.पी.एन. वर्मा से पूछा था कि उक् त राशि से आपको क्या काम करवाना है? उन्होंने कहा था कि शासकीय अस्पताल, आगर मार्ग की आयसीयू की मरम्मत करवाना है। हमने काम शुरू करवाया।

सिविल सर्जन और उनके मातहत रोजाना एक नया काम लेकर आ जाते थे। आयसीयू का ड्रेनेज सिस्टम चोक था। हमने सबसे पहले उसे सुधारा। चूंकि हम मरम्मत का काम करने आए थे, नया बनाने नहीं। इसलिए इनके मरम्मत के काम बढ़ते गए और रुपए खर्च होते चले गए। हमने मरम्मत का काम करने के बाद जो अच्छी टाइल थी, उसे दोबारा से काम में ले लिया। जहां कम पड़ी, वहां दूसरे रंग की लगा दी। इसमें हमारा कोई दोष नहीं है। न ही हमने भ्रष्टाचार किया है।

यदि वे एक काम करवाते तो पूरा काम ढंग का होता। थोड़ा सा काम का बोलकर, ढेर सारा निकाल दिया। वे कहते थे-ये भी कर दो, वो भी कर दो। ऐसे में हम सामान कहां से लाते। जो भी करना था, बजट के अंदर करना था। हमारी ओर से आयसीयू तैयार है। यदि कोई काम बचा होगा तो सिविल सर्जन को पता होगा। होना यह चाहिए कि वे उपकरण लगवाएं और चालू करवाएं आयसीयू।

इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ.पी.एन. वर्मा से चर्चा करना चाही लेकिन उनका मोबाइल स्वीच ऑफ आता रहा।

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