स्कूल वाहन हादसा:स्कूल प्रबंधन, आरटीओ/पुलिस और वाहन मालिक की

By AV NEWS

स्कूल वाहन हादसा….लापरवाही उदासीनता

स्कूल प्रबंधन, आरटीओ/पुलिस और वाहन मालिक की

गाइडलाइन, नियम पर नहीं ध्यान

चार बच्चों ने अभी दुनिया भी पूरी तरह नहीं देखी और बेपरवाह सिस्टम के शिकार हो गए….

उज्जैन।जिला मुख्यालय से कुछ ही दूर उन्हेल-नागदा मार्ग पर चार नौनिहाल की गंभीर हादसे में जान चली गई। चार बच्चों ने अभी दुनिया पूरी तरह देखी भी नहीं और बेपरवाह सिस्टम के शिकार हो गए।

चार बच्चों की मौत और 11 बच्चों के घायल होने की घटना में दोष किसका है। नियम-कायदे, गाइडलाइन पर नजर डाले तो इस हादसे में स्कूल प्रबंधन,आरटीओ/ पुलिस, वाहन मालिक का दोष है, जिन्होनें स्कूली वाहनों में बच्चों के सुरक्षित सफर के नियमों का पालन नहीं किया।

बच्चे पढऩे स्कूल के लिए निकले थे, लेकिन उन्हें और उनके अभिभावकों को क्या पता था कि स्कूल प्रबंधन, आरटीओ/पुलिस और वाहन मालिक लापरवाही और उदासीनता की आड़ में मृत्यु उनका इंतजार कर रही है। चार बच्चों की मौत और 11 बच्चों के घायल होने की घटना में दोष किसका है।

नियम-कायदे, गाइडलाइन तो बड़े सख्त नजर आते हैं पर इनके पालन की नरमी ने चार मासूमों की जान ले ली। स्कूली बच्चों को वाहनों में भरकर सरपट दौड़ रहे वाहनों पर नकेल नहीं कसने का नतीजा है कि एक बार फिर गंभीर हादसा हो गया।

संबंधित विभाग यदि इमानदारी से सुप्रीम की गाइडलाइन, बाल आयोग के निर्देश और शासन के नियमों के अनुसार स्कूली वाहनों की जांच करें जिले में अधिकांश स्कूली वाहन नियमों पर खरे नहीं उतरेंगे लेकिन इस ओर न तो आरटीओ/पुलिस और ना ही स्कूल प्रबंधन की नजर है।

स्कूल प्रबंधन नहीं बच सकता जिम्मेदारी से

उज्जैन के पास नागदा में सोमवार सुबह 7 बजे भीषण हादसा हो गया। स्कूली बच्चों से भरी ट्रैक्स तूफान गाड़ी को ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी। हादसे में 4 बच्चों की मौत हो गई। 11 बच्चे गंभीर घायल हैं। घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने जिम्मेदारी लेने से पल्ला झाड़ लिया। हादसे के बाद फातिमा स्कूल प्रबंधन ने एक पत्र जारी करते हुए हादसे में घायल अपने स्कूल के छात्रों की जानकारी दी। साथ ही हादसे से भी अपना पल्ला झाड़ लिया।

पत्र में स्कूल प्रबंधन ने लिखा, फातिमा कॉन्वेंट स्कूल के छात्र-छात्राएं सुबह स्कूल आ रहे थे, विद्यालय से किसी भी वाहन स्वामी का कोई अनुबंध नहीं है। अभिभावक स्वयं अपनी जिम्मेदारी पर बच्चों को विद्यालय भेजते हैं। स्कूल प्रबंधन केवल एक पत्र लिखकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।

कुछ समय पहले बच्चों की स्कूली वाहन में सुरक्षा को लेकर बाल आयोग द्वारा गाइडलाइन जारी की थी। इसमें स्पष्ट किया गया है कि स्कूली वाहन नियमों का पालन करें इसके लिए स्कूल प्रबंधन और परिवहन विभाग संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं। यदि कोई वाहन, स्कूल से अनुबंधित नहीं है, लेकिन स्कूल के बच्चों को लाने ले जाने का काम करता है तो स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि इसकी सूचना परिवहन विभाग को दे।

परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है कि वह स्कूली वाहनों की नियमित रूप से जांच करें। सूत्रों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने इसकी सूचना परिवहन विभाग नहीं दी। यही वजह है कि आरटीओ ने अपनी ओर से कोई कार्रवाई नहीं ही

स्कूली वाहनों के लिए एसओपी गाइडलाइन

बाल आयोग ने मध्य प्रदेश में स्कूली वाहनों के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) गाइडलाइन कर रखी है। इसका पालन बस, ऑटो तथा अन्य वाहन जो बच्चों को स्कूल पहुंचा रहे हैं उन्हें भी करना हैं।

सभी स्कूली वाहनों को सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करना होगा।

एलपीजी गैस किट वाले वाहनों का उपयोग स्कूली वाहन के लिए प्रतिबंधित होगा।

वाहनों में निर्धारित संख्या से ज्यादा बच्चों को बैठाने की मनाही रहेगी।

स्कूली वाहन में कोई भी म्यूजिक सिस्टम नहीं लगा होना चाहिए।

वाहन चालक तथा उसके सहायक का पुलिस वेरिफिकेशन होना आनिवार्य है।

स्कूल द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जो वाहन चालक है वह किसी भी तरह का नशा नहीं करता है।

वाहन की क्षमता: सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में 5, डीजल ऑटो में 8, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर लाया ले जाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन

बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए। द्द स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो।

वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए। द्द बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो तथा कंडक्टर का होना अनिवार्य है।

बस में फस्ट ऐड बॉक्स अवश्य लगा होना चाहिए। द्द बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए।

बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।

बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए।

प्राइवेट वाहनों की जानकारी और निगरानी विद्यालय प्रबंधन को रखना होगा।

यह खामियां उजागर

परिवहन विभाग अपनी जिम्मेदारी का पालन करता तो निजी वाहन का इस तरह व्यावसायिक उपयोग नहीं होता।

वाहन में क्षमता से अधिक बच्चे थे। इस पर आरटीओ, पुलिस ने ध्यान नहीं दिया।

स्कूल संचालक एवं परिवहन विभाग को शायद सुप्रीम कोर्ट और बाल आयोग की गाइडलाइन का पता नहीं होगा। यदि गाइडलाइन संज्ञान में होती तो एक निजी वाहन का ऐसा उपयोग रोका जा सकता था।

आरटीओ/पुलिस द्वारा अन्य जिलों में पंजीकृत बड़े वाहनों के उपयोग पर ध्यान नहीं दिया जा है। यह बात इससे सिद्ध होती है कि हादसे का कारण बना वाहन दूसरे जिले में पंजीकृत होकर उज्जैन मिले में संचालित किया जा रहा था।

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