क्यों नहीं चढ़ाया जाता भगवान शिव को तुलसी और केतकी का फूल जानिए

 भगवान शिव जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। ये ऐसे देवता हैं जो मात्र एक लोटे जल और बेलपत्र से प्रसन्न हो जाते हैं। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव की पूजा में कुछ चीजों को अर्पित करना वर्जित माना गया है जिसमें केतकी का फूल और तुलसी के पत्ते प्रमुख हैं। आइए जानते हैं आखिरकार क्यों नहीं चढ़ाया जाता भगवान शिव को तुलसी और केतकी का फूल……

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

केतकी का फूल

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी कौन बड़ा और कौन छोटा है, इस बात का फैसला कराने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। इस पर भगवान शिव ने एक शिवलिंग को प्रकट कर उन्हें उसके आदि और अंत पता लगाने को कहा। उन्होंने कहा जो इस बात का उत्तर दे देगा वही बड़ा है। इसके बाद विष्णु जी उपर की ओर चले और काफी दूर तक जाने के बाद पता नहीं लगा पाए। उधर ब्रह्मा जी नीचे की ओर चले और उन्हें भी कोई छोर न मिला।

नीचे की ओर जाते समय उनकी नजर केतकी के पुष्प पर पड़ी, जो उनके साथ चला आ रहा था। उन्होंने केतकी के पुष्प को भगवान शिव से झूठ बोलने के लिए मना लिया। जब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि मैंने पता लगा लिया है और केतकी के पुष्प से झूठी गवाही भी दिलवा दी तो त्रिकालदर्शी शिव ने ब्रह्मा जी और केतकी के पुष्प का झूठ जान लिया। उसी समय उन्होंने न सिर्फ ब्रह्मा जी के उस सिर को काट दिया जिसने झूठ बोला था बल्कि केतकी की पुष्प को अपनी पूजा में प्रयोग किए जाने के अधिकार से भी वंचित कर दिया।

भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाया जाता तुलसी

पूर्व जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था और वह जालंधर नाम के राक्षस की पत्नी थी। वह राक्षस वृंदा पर काफी जुल्म करता था। जालंधर को सबक सिखाने के लिए भगवान शिव ने विष्णु भगवान से आग्रह किया। तब विष्णुजी ने छल से वृंदा का पतिव्रत धर्म भंग कर दिया। बाद में जब वृंदा को यह पता चला कि भगवान विष्णु ने उनका पतिव्रत धर्म भंग किया है तो उन्होंने विष्णुजी को श्राप दिया कि आप पत्थर के बन जाओगे। तब विष्णु जी ने तुलसी को बताया कि मैं तुम्हारा जालंधर से बचाव कर रहा था, अब मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम लकड़ी की बन जाओ। इस श्राप के बाद वृंदा कालांतर में तुलसी का पौधा बन गईं।

शिव जी की पूजा में तुलसी की जगह बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं क्योंकि तुलसी शापित है। दूसरा शिवजी की पूजा में तुलसी पत्र इसलिए भी नहीं चढ़ाया जाता है, क्योंकि वे भगवान श्रीहरि की पटरानी हैं और तुलसी जी ने अपनी तपस्या से भगवान श्रीहरि को पति रूप में प्राप्त किया था।

Related Articles