आउटसोर्स के नाम पर खेला… कागजों पर काम, घर बैठे पगार!

By AV NEWS

नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार भी कर रहे काम, फील्ड में काम करने वालों को चार माह से वेतन के लाले

आउटसोर्स से नगर निगम को नुकसान फिर भी अफसर बेफिक्र

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:नगर निगम में आउटसोर्स से कर्मचारियों को रखे जाने के नाम पर जमकर खेला हो रहा है। नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार भी काम कर रहे, लेकिन सिर्फ कागजों पर और घर बैठे पगार ले रहे जबकि फील्ड में काम करने वालों को चार माह से वेतन के लाले पड़ रहे। इसका आक्रोश अब फूटने लगा है।

फायर ब्रिगेड के कई कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया है। नगर निगम ने आउटसोर्स के नाम पर 300 से ज्यादा कर्मचारी रख लिए हैं, लेकिन आधे से ज्यादा नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार हैं, जो फील्ड में काम करने की जगह घर बैठे ही आसानी से तनख्वाह ले लेते हैं। आधे कर्मचारी ही फील्ड में काम करने निकलते हैं, लेकिन इनको पिछले चार माह से वेतन ही नहीं मिल पा रहा। इससे कर्मचारियों में आक्रोश की स्थिति पैदा हो गई है। फायर ब्रिगेड के कई कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया, लेकिन फिर भी तनख्वाह नहीं दी जा रही। निगम के अधिकारी आउटसोर्स कंपनी के ठेकेदार को दोषी ठहरा रहे।

नगर निगम को आउटसोर्स का ठेका देने से काफी नुकसान भी होता है, लेकिन इस मामले में अधिकारी और जनप्रतिनिधि कोई फैसला नहीं लेते। इससे भी कर्मचारियों में आक्रोश की स्थिति है। सभी कर्मचारी अब इस बात पर लामबंद हो रहे हैं कि अब तक का बकाया पूरा पेमेंट किया जाए, तभी वे काम पर लौटेंगे। कर्मचारी दैनिक वेतन पर 29 दिवस या 89 दिवस पर रखे जाते हैं। कलेक्टर रेट के कारण आउटसोर्स का ठेका देने से निगम को प्रशासन को राजस्व की हानि होती है, लेकिन इसे देखने वाला कोई अधिकारी नहीं, जबकि नगर निगम की आर्थिक स्थिति रोज खराब बताई जा रही।

ठेकेदार कंपनी और निगम प्रशासन के झगड़े में पिसा रहे कर्मचारी…

नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों का ठेका पहले ईगल हंटर सॉल्यूशन दिल्ली का ठेका था, हालांकि उर्दूपुरा के पेटी कान्ट्रेक्टर गणेश बागड़ी काम कर रहा था।लेकिन अब लखनऊ की कंपनी किंग सिक्योरिटी को दिया गया है। कांट्रेक्टर बदलने के बाद भी आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति वहीं की वहीं है। हाल ये हैं कि चार माह से कर्मचारियों को वेतन ही नहीं दिया गया है। नगर निगम प्रशासन और कॉन्ट्रैक्टर के बीच समन्वय स्थापित न हो पाने से यह स्थिति बनी है। कर्मचारियों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि चार माह की तनख्वाह एक साथ देने की जगह एक माह का ही मुश्किल से देते हैं फिर कंपनी के जिम्मेदार कहते हैं थोड़े दिन में और पेमेंट ट्रांसफर कर देंगे, लेकिन इंतजार में ही दिन निकलते रहते हैं। इसी कारण इस बार चार माह की सैलेरी अधर में पास गई है।

भौतिक सत्यापन करेंगे

आउटसोर्स के नाम पर कोई भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं करेंगे। भौतिक सत्यापन कराएंगे और गड़बड़ी पाई गई तो उचित कार्रवाई करेंगे। नया ठेका देने में देर नहीं की जाएगी।-मुकेश, टटवाल महापौर

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