क्रिकेटर हिरवानी ने इन्दौर और मप्र का गौरव बढ़ाया

By AV NEWS 1

गोरखपुर के स्टेडियम का नाम होगा नरेंद्र हिरवानी स्टेडियम

स्पिन बोलिंग में कई विश्व रिकार्ड बनाने वाले इंदौरी क्रिकेटर नरेंद्र हिरवानी का जन्म गोरखपुर उप्र में हुआ। वे सिर्फ 15 या 16 वर्ष की आयु में इंदौर आ गए थे। घंटों क्रिकेट खेलते थे। अभ्यास की तड़प सी थी। पूर्व इंडियन टेस्ट क्रिकेटर संजय जगदाले से क्रिकेट में पारंगत हुए और फिर भारतीय टेस्ट टीम और वनडे टीम में जगह बनाई। हालांकि कुल सात आठ साल का करियर था और प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 10-12 साल के करियर में उन्होंने कई कीर्तिमान बना लिए। हिरवानी जी ने हजारों युवा खिलाडिय़ों को स्पिन गेंदबाजी सिखाने का कार्य किया है।

इन दिनों भी वे कुछ देशों के क्रिकेटर्स को स्पिन सिखा रहे हैं। कोचिंग लेने के इच्छुक युवा उनका इंतजार करते हैं स्टेडियम में। यह भी एक कीर्तिमान है कि भारतीय पुरुष टीम और महिला टीम दोनों के वे कोच रह चुके हैं।

रणजी मध्य प्रदेश के चयन कर्ता भी रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के नए इंटरनेशनल स्टेडियम का नाम प्रसिद्ध क्रिकेटर नरेंद्र हिरवानी के नाम पर रखने की घोषणा की है। इंदौर के साथ ही प्रदेश के खेल जगत ने इस घोषणा का स्वागत किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हृदय से आभार माना है। अहमदाबाद के स्टेडियम का नाम है। नरेंद्र मोदी स्टेडियम और अब

गोरखपुर के स्टेडियम का नाम होगा नरेंद्र हिरवानी स्टेडियम

हाल ही में इंदौर में एक कार्यक्रम में पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर नरेन्द्र हिरवाणी से मुलाकात हुई। यह मुलाकात कई बरस बाद हुई। इसके पहले भी एक कार्यक्रम में ही नरेन्द्र से मुलाकात हुई तो बातचीत में अपने खेल और जीवन के बारे में काफी विस्तार से बताया। नरेन्द्र हिरवाणी ने बताया कि उन्होंने क्रिकेट खेलने और नौजवान क्रिकेट प्रमियों को क्रिकेट का प्रशिक्षण देने में ही अब तक का जीवन बिताया है।

नरेंद्र ने मप्र को कर्मभूमि बनाया। पंद्रह वर्ष की उम्र में गोरखपुर से इंदौर आने के बाद हमेशा यहीं रहने का फैसला ले लिया। नरेन्द्र हिरवाणी की ससुराल भोपाल में है। उनकी पत्नी श्रीमती नमिता भोपाल के वरिष्ठ फोटोग्राफर कमलेश जैमिनी के परिवार से हैं। नरेन्द्र का बेटा मिहिर भी क्रिकेटर है। मूलत: गोरखपुर, उत्तरप्रदेश के निवासी नरेन्द्र हिरवाणी के पिता का ईंटों का कारोबार रहा है। जीवन में मिली सफलताओं का श्रेय अपने क्रिकेट गुरु संजय जगदाले को देते हैं। जगदाले ने ही पहले पहल नरेन्द्र की प्रतिभा को पहचाना था और निरंतर खेल के अवसर भी दिलवाए थे।-लेखक-अशोक मनवानी

हिरवाणी:-प्रमुख उपलब्धियां एक नजर में

क्रिकेट ऐसा खेल है जिसमें सबसे अधिक अनिश्चितता होती है। कई बार विपरीत परिस्थितियों में भी एक खिलाड़ी के खूबसूरत प्रदर्शन से बाजी पलट जाती है। वर्ष 1988 में चार टेस्ट मैच की सीरीज में भारत वेस्टइंडीज से पिछड़ गया था। चेन्नई टेस्ट में भारतीय खिलाडिय़ों ने शानदार प्रदर्शन किया और जीत प्राप्त की। पदार्पण मैच या डेब्यू मैच में 16 विकेट लेने का विश्व रिकार्ड। यह आज 36 वर्ष बाद भी कायम है। उन्होंने 136 रन देकर दो परियों में सोलह विकेट गिराए थे। अपने अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट डेब्यू की दोनों पारियों में 8-8 विकेट लेने वाले इंडिया के फस्र्ट बालर थे।

कुल 136 रन देकर 16 विकेट लेने का रिकार्ड तो बनाया ही, यह रिकॉर्ड रनों की किफायत की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसके पहले बॉब मेसी ने 1972 में आस्ट्रेलिया की तरफ से डब्यू टेस्ट मैच में 16 विकेट अपने नाम किए थे। उन्होंने कुल 137 रन खर्च कर ये विकेट चटकाए थे। नरेंद्र हिरवाणी ने 16 साल बाद रिकार्ड तोड़ा था। चैन्नई का यह मैच तो भारत जीता ही, चार टेस्ट की सीरीज में अपमान से बचते हुए बराबरी पर खड़ा हो सका।

फस्र्ट क्लास डेब्यू पर भी पांच विकेट लेने का रिकार्ड बनाया। इसके साथ ही हिरवाणी ने एक कोच के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम के साथ ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाडिय़ों को भी स्पिन गेंदबाजी सिखाई है। वर्ष 1988 में शारजाह में न्यूजीलैंड के खिलाफ 27 मार्च को हुए मैच में 43 रन देकर चार विकेट, एक अप्रैल को न्यूजीलैंड के खिलाफ ही हुए मैच में 46 रन देकर चार विकेट और 16 अक्टूबर को वेस्ट इंडीज के खिलाफ वन डे मैच में 50 रन देकर चार विकेट झटके थे नरेंद्र ने एक बार मैच में दस विकेट लेने का करिश्मा भी कर दिखाया है। किसी अंतर्राष्ट्रीय मैच में 10 विकेट लेने वाले भारत के सबसे युवा गेंदबाज हैं।

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