कृष्ण जन्माष्टमी पर्व कब है, क्यों मनाया जाता है, जानें

By AV News

कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की रात 12 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। कृष्ण जी की पूजा के लिए निशिता पूजा समय सबसे शुभ माना जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री
धूप बत्ती और अगरबत्ती, यज्ञोपवीत 5, अक्षत, पान के पत्ते, सुपारी, पुष्पमाला, केसर, कपूर, आभूषण, रुई, तुलसीमाला, कमलगट्टा, सप्तधान, गंगाजल, शहद, अबीर, गुलाल, पंच मेवा, शक्कर, गाय का घी, गाय का दही, गाय का दूध, ऋतुफल, छोटी इलायची, सिंहासन, झूला, तुलसी दल, कुश व दूर्वा, हल्दी, कुमकुम, आसन, मिष्ठान्न, बाल स्वरूप कृष्ण की प्रतिमा, रोली, सिंदूर, चंदन, भगवान के वस्त्र, नारियल, फूल, फल, मोर पंख, गाय बछड़े सहित, केले के पत्ते, औषधि, पंचामृत, दीपक, मुरली, माखन, खीरा।

कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात में भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण ने धरती को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था। यही वजह है कि हर साल कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार का विशेष महत्व माना जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। श्री कृष्ण भगवान ने ही धरती को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए ही कृष्ण जन्मोत्सव बेहद ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी की सरल पूजा विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद भगवान कृष्ण के मंदिर में जायें और वहां मोर-पंख अवश्य चढ़ाएं।
मंदिर नहीं जा सकते तो घर के मन्दिर में ही भगवान कृष्ण को मोर पंख चढ़ाएं।
इस दिन भगवान कृष्ण की प्रतिमा को अच्छे से सजाएं।
उनके लिए झूला तैयार करें।
पूजा के समय भगवान कृष्ण के मन्त्र का 108 बार जप करें।
रात 12 बजे की पूजा से पहले फिर से स्नान कर लें।
फिर साफ वस्त्र पहनकर पूजा की तैयारी करें।
फिर कृष्ण जी की प्रतिमा को दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक कराएं।
उन्हें फूल और फल चढ़ाएं।
तरह-तरह के पकवान का भोग लगाएं।
जन्माष्टमी की कथा सुनें और अंत में भगवान कृष्ण की आरती करें।

कृष्ण जन्माष्टमी प्रसाद
धनिया पंजीरी
माखन मिश्री
तुलसी के पत्ते
मखाना पाग
चरणामृत
मेवा खीर

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा
पौराणिक कथा अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। उनसे पहले देवकी जी के अन्य सभी सात पुत्रों को कंस ने मार डाला था। कहते हैं जब श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ तो जेल के सभी ताले अपने आप खुल गए थे और जेल पर पहरा देने वाले पहरेदार भी गहरी नींद में सो गए थे। इसके बाद बाल कृष्ण को उनके पिता वासुदेव नंद गांव लेकर पहुंचे और उन्हें अपने दोस्त नंद बाबा को सौंप दिया। जब भगवान कृष्ण बड़े हुए तो उन्होंने अपने मामा कंस का वध कर सभी को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई

कृष्ण जन्माष्टमी पर खीरा क्यों काटा जाता है
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के समय खीरा काटा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि जन्माष्टमी पर खीरे के तने को बच्चे की नाल समझकर श्री कृष्‍ण जी जन्‍म के वक्त काटा जाता है। दरअसल इस दिन खीरे को भगवान कृष्ण के माता देवकी से अलग होने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कई जगह इस दिन खीरा काटने की प्रक्रिया को नल छेदन भी कहा जाता है।

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