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हाई कोर्ट की युगल पीठ ने नानाखेड़ा क्षेत्र में 1200 करोड़ रु. की जमीन को माना सरकारी

26 वर्ष पुराने मामले का पटाक्षेप, शासन की अपील का निराकरण

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। हाई कोर्ट युगलपीठ ने जमीन के २६ साल 26 वर्ष पुराने मामले का पटाक्षेप करते हुए नानाखेड़ा क्षेत्र की 5.5 हेक्टेयर जमीन को सरकारी माना है। इस जमीन को शहरी सिलिंग एक्ट के तहत अधिग्रहित किया गया था। इसके बाद से मामला न्यायालय में चल रहा था।

 

उज्जैन के नानाखेड़ा स्थित 5.5 हेक्टेयर जमीन बसंतीबाई के स्वामित्व की थी। इस जमीन को शहरी सिलिंग एक्ट के तहत अधिग्रहित कर लिया गया था। इस संबंध में राजस्व विभाग सचिव ने वर्ष 1998 में आदेश भी जारी कर दिया था। इसे चुनौती देते हुए भू-स्वामी की ओर से बालू सिंह पिता रामाजी द्वारा हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई थी। वर्ष 2006 में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने राजस्व विभाग सचिव के आदेश को निरस्त करते हुए जमीन को निजी घोषित कर दिया था। एकलपीठ के इस आदेश को चुनौती देते हुए शासन ने युगलपीठ के समक्ष वर्ष 2007 में अपील प्रस्तुत की थी। हाल ही में इस अपील का निराकरण हुआ है। इसमें हाई कोर्ट युगलपीठ ने जमीन को शासकीय घोषित कर दिया है।

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जमीन पर शासन का कब्जा है

हाई कोर्ट युगलपीठ में शासन का पक्ष रखने वाले उप महाधिवक्ता सुदीप भार्गव ने बताया कि बताया कि नानखेड़ा स्थित गेल मुख्यालय के पास स्थित जमीन वर्तमान में शासन/ प्रशासन के कब्जे में है। स्वामित्व के विवाद के चलते जमीन और आसपास विकास बाधित हो रहा था। अब जब कोर्ट के आदेश के बाद यह जमीन शासन को मिल गई है, यहां विकास कार्य को गति मिल सकेगी। इसका फायदा आने वाले सिंहस्थ में भी मिलेगा।

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शासन ने युगलपीठ में अपील की थी

हाई कोर्ट युगलपीठ ने माना कि एकलपीठ ने इस जमीन को निजी मानने की त्रुटि की थी। यह निजी नहीं बल्कि शासकीय भूमि है। कोर्ट ने 13 जुलाई 1998 को दिए राजस्व विभाग सचिव के आदेश को यथावत रखते हुए एकलपीठ के 26 अक्टूबर 2006 के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने शासन की अपील को स्वीकारते हुए इस जमीन को शासकीय घोषित कर दिया है। वर्तमान में इस जमीन का बाजार मूल्य 1200 करोड़ रुपये से अधिक है।

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