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अभा कालिदास समारोह के लिए तीन करोड़ का बजट

प्रधानमंत्री मोदी और उनके गुरु को बुलाने की तैयारी

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समारोह को लेकर केंद्रीय समिति की बैठक 10 को भोपाल में

 

सुधीर नागर उज्जैन। दुनियाभर में प्रसिद्ध अखिल भारतीय कालिदास समारोह में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके गुरु सीएस अद्वैत शारदा, बेंगलुरु को बुलाने की तैयारी है।समारोह में पहली बार देश के सभी संस्कृत विश्व विद्यालयों के कुलपतियों को बुलाने और विदेशी संस्कृत विद्वानों को एक मंच पर एकत्रित करने का प्रस्ताव है। इसके लिए 3 करोड़ रुपए का बजट भी प्रस्तावित है। इन प्रस्तावों को केंद्रीय समिति की बैठक में रखा जाएगा।

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अगले माह 12 से 18 नवंबर तक होने वाले अखिल भारतीय कालिदास समारोह में मुख्य अतिथि के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को आमंत्रित करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा पीएम मोदी के गुरु सीएस अद्वैत शारदा, जगद्गुरु विद्या भास्कर महराज, श्री राम मंदिर अयोध्या के ट्रस्टी स्वामी गोविंददेव गिरी, गुरुदेव शंकर अभ्यंकर, जगतगुरु रामानुजाचार्य, स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जैसे धर्मगुरुओं को बुलाने पर निर्णय किया जाएगा। समारोह में पहली बार ग्वालियर के हरिराम चंद्र दिवेकर द्वारा लिखे गए चर्चित नाटक कालिदास महोत्सवम का मंचन भी होगा। नाटक में कालिदास समारोह का आयोजन होता है और स्वयं कालिदास इसमें सम्मिलित होने जाते हैं, किंतु प्रवेश द्वार पर उनकी ही एंट्री रोक दी जाती है। कालिदास प्रवेश के लिए जब जद्दोजहद करते हैं तो नारद मुनि कहते हैं आप गलत समय आ गए हो, अब आपकी नहीं, आपके नाम की आवश्यकता ज्यादा है।

पर्यावरण और परिवार पर व्याख्यान होगा

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कालिदास साहित्य में पर्यावरण पर केंद्रित शोध संगोष्ठी होगी। जल, प्रकाश, आकाश और वायु तत्वों पर विद्वान मंथन करेंगे।

कालिदास की दृष्टि में कुटुंब व्यवस्था पर केंद्रित व्याख्यान भी होंगे। इसमें टूटते परिवारों पर मंथन होगा।

कालिदास और समरस समाज को लेकर विद्वानों के व्याख्यान होंगे, जिसमें छुआछूत और भेदभाव जैसे विषय उठेंगे।

समारोह को अंतर्राष्ट्रीय रूप देने के प्रयास
अखिल भारतीय कालिदास समारोह की तैयारियां हो रही हैं। केंद्रीय समिति की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय होने के बाद तैयारियों को गति देंगे। इस बार समारोह को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने का पूरा प्रयास है। अमेरिका, पोलैंड, मलेशिया, नेपाल आदि देशों के संस्कृत विद्वानों को आमंत्रित करने पर भी विचार चल रहा।
-डॉ. गोविंद गंधे, निदेशक कालिदास अकादमी उज्जैन

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