बच्चे स्कूल नहीं आएं तो शिक्षक घर जाकर उनके अभिभावकों से मिलें

जिन स्कूलों के भवन जर्जर हैं, उन्हें ध्वस्त कर दें, स्कूल तक पहुंचने वाली सडक़ खराब है, तो सुधरवाएं
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उज्जैन। शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में जिला पंचायत की सीईओ जयति सिंह ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता, विद्यालयों की व्यवस्थाओं और परिणाम आधारित शिक्षण प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया जाए। शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ से ही विद्यार्थियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति होना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करें।
शिक्षकों की उपस्थिति ई-अटेंडेंस प्रणाली से दर्ज कराई जाए। विद्यालयों में नियमित निरीक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए। जिन विद्यालयों में पानी, शौचालय एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है, वहां तत्काल व्यवस्था की जाए। उज्जैन जिले ने इस वर्ष में राज्य और राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे जिले की शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में आए सुधार की पुष्टि होती है। कक्षा 3 में उज्जैन ने
80 प्रतिशत अंक प्राप्त करते हुए प्रदेश में चौथा स्थान प्राप्त किया, जबकि राज्य औसत 66 प्रतिशत और राष्ट्रीय औसत 64 प्रतिशत रहा। कक्षा 6 में जिले ने 67 प्रतिशत प्राप्त कर प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया, जहां राज्य और राष्ट्रीय औसत समान रूप से 57 प्रतिशत रहा। वहीं कक्षा 9 में जिले ने 51 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया, जो कि राज्य के औसत 52 प्रतिशत और राष्ट्रीय औसत 54 प्रतिशत के समीप रहा। इन उपलब्धियों को अधिकारियों ने शिक्षकों की प्रतिबद्धता, प्रशासनिक निगरानी और प्रभावी शैक्षणिक योजनाओं का परिणाम बताया।
बैठक में निर्देशित किया गया कि सभी विद्यालयों में प्राप्त समस्त पाठ्यपुस्तकों का वितरण शत-प्रतिशत किया जाए। तथा इसकी प्रविष्टि पोर्टल पर पूर्ण कर ली जाए। मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और नियमित निगरानी करने के निर्देश दिए गए। जिन विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति कम पाई जाए, वहां विशेष प्रयास कर घर-घर संपर्क कर बच्चों को प्रेरित किया जाए। विद्यालयों तक पहुंचने वाली सडक़ की स्थिति की भी समीक्षा कर आवश्यक सुधार के लिए प्रस्ताव संबंधित विभाग को शीघ्र प्रेषित करने के निर्देश दिए गए। बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि जिन विद्यालयों के भवन जर्जर स्थिति में हैं, उनकी मरम्मत अथवा तोडऩे की कार्रवाई तत्काल की जाए, जिससे विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।