नागदा में हत्या-प्रेम प्रसंग नहीं बदले की कहानी: दोस्ती, गद्दारी और खून

तरुण भाटी हत्याकांड में खुली एक नई परत, पुराने मर्डर केस से जुड़ा है पूरा मामला, तीन आरोपी गिरफ्तार
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अक्षरविश्व न्यूज|नागदा। शहर में हुए बहुचर्चित तरुण भाटी हत्याकांड ने अब एक चौंकाने वाला मोड़ ले लिया है। अब तक इसे एक सामान्य प्रेम प्रसंग से जोड़ा जा रहा था, लेकिन पुलिस जांच में सामने आया है कि यह हत्या बदले की आग में की गई। एक भाई की हत्या के आरोपी से दोस्ती करना, तरुण को इतना भारी पड़ा कि उसकी जान चली गई। पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर दो दिन की रिमांड पर लिया है। जबकि एक आरोपी हरीश पवार अब भी फरार है।
हत्या की यह वारदात एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें दोस्ती, गुस्सा, गद्दारी और गैंगस्टर मानसिकता जैसे तत्व गहराई से जुड़े हुए हैं। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही तरुण खाचरौद जेल से मुलाकात कर लौट रहा था, खाचरौद नाके के पास पहले से घात लगाए बैठे सचिन, अर्जुन, रवि और हरीश ने उसे घेर लिया। हरीश ने चाकू से उस पर ताबड़तोड़ वार कर दिए। गंभीर घायलावस्था में तरुण की मौके पर ही मौत हो गई। घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी भाग निकले।
हालांकि तीन आरोपी जल्द ही गिरफ्तार हो गए, लेकिन मुख्य हमलावर हरीश अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। कानूनी दृष्टि से हत्या में प्रयुक्त हथियार की बरामदगी न केवल चार्जशीट को मजबूत करती है, बल्कि अदालत में अपराध को साबित करने का अहम आधार बनती है। यही वजह है कि पुलिस चाकू की बरामदगी को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रख रही है।
यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, समाज के युवाओं में पनप रही हिंसक सोच और गहरी मानसिक गिरावट का प्रतिबिंब है। फिल्मी स्टाइल में गैंग बनने, दुश्मनी पालने और सोशल मीडिया पर ‘दादागिरी’ दिखाने की होड़ अब खूनी खेल में बदल रही है। तरुण की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या दोस्ती और मदद अब जानलेवा साबित होने लगी है? क्या युवाओं को सही दिशा देने का वक्त नहीं आ गया।
वहीं युवाओं में गैंगस्टर बनने की होड़ सी मची हुई है। जिधर देखो उधर मोहल्लों, बस्तियों में सभी दादा पहलवान बनने के लिए गैंग बना रहे हैं और सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट डालकर दहशत फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ये लोग यह नहीं सोचते हैं कि इनके अभिभावकों पर क्या गुजरती होगी जब किसी विवाद में घायल हो जाते हैं या फिर थाने कचहरी के चक्कर लगाते हैं।
मर्डर मिस्ट्री में छुपा बदले का बीज
कुछ समय पहले दिनेश डाबी की हत्या हो चुकी थी, जिसके आरोप में नीलेश नामक युवक खाचरौद जेल में बंद है। तरुण भाटी की उससे गहरी दोस्ती थी। तरुण अक्सर उससे मिलने जेल जाया करता था। जेल में मुलाकात के दौरान नीलेश ने तरुण से एक मदद मांगी, जिसे तरुण ने तुरंत स्वीकार कर लिया। लेकिन यह दोस्ती दिनेश डाबी के भाई सचिन उर्फ प्रिंस डाबी को नागवार गुजरी। उसे लगा कि तरुण उसके भाई के कातिल का साथी बन गया है। इसी नाराजगी ने एक नफरत और बदले की साजिश का रूप लिया और तरुण की मौत का कारण बन गई।
फरार आरोपी की गिरफ्तारी शेष
तरुण भाटी हत्याकांड में तीन मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती चौथे आरोपी हरीश पवार की तलाश बनी हुई है। घटना में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले इस आरोपी ने ही तरुण पर चाकू से हमला किया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, हत्या में प्रयुक्त चाकू हरीश के पास ही है, जिसकी बरामदगी इस पूरे मामले में अहम सबूत के तौर पर देखी जा रही है। पुलिस ने हरीश की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश देना शुरू कर दिया है।
गैंगस्टर कल्चर की छाया
पुलिस के अनुसार, यह सभी आरोपी सोशल मीडिया पर कुख्यात बदमाश दुर्लभ कश्यप की जीवनशैली और अंदाज को फॉलो करते हैं। उनका पहनावा, भाषा, और सोशल मीडिया पोस्ट उसी जैसे होते हैं। इनकी प्रोफाइल पर बंदूक, गैंग, और क्राइम से जुड़े स्टेटस देखे जा सकते हैं। यह घटनाक्रम समाज में बढ़ रही गैंग संस्कृति और युवाओं के भटकाव का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
हत्या से पहले विवाद
सूत्रों की मानें तो तरुण और आरोपियों के बीच कुछ दिन पहले एक तीखा विवाद हुआ था। लेकिन किसी ने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी। यह चुप्पी तरुण की जान पर भारी पड़ी। तरुण की मौत ने यह भी दिखा दिया कि छोटे-छोटे विवाद और पुराने रिश्ते कैसे बड़े अपराधों का कारण बन सकते हैं, खासकर जब पीछे बदले और दबदबे की भावना हो।
इनका कहना
हमने तीन आरोपियों को रिमांड पर लिया है। फरार आरोपी हरीश पवार की तलाश की जा रही है। वहीं पुलिस निरंतर छापेमार कार्रवाई कर रही है आरोपी शीघ्र गिरफ्तार होगा। हत्या में प्रयुक्त चाकू भी उसी से बरामद होना है।-प्रतीक शर्मा, थाना प्रभारी मंडी थाना नागदा