अजब-गजब… 28 लाख की सडक़ एक माह में उखड़ी

बारिश से पहले कांक्रीट रोड पर ताबड़तोड़ डामर बिछाया, अब रोड पहले से बेकार

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अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। अपना उज्जैन भी अजब गजब है। अब देखिए 28 लाख रुपए खर्च कर कांक्रीट रोड पर ताबड़तोड़ डामरीकरण कर दिया, लेकिन यह एक माह में ही बारिश के कारण उखड़ गया और ऐसा कि लोगों के लिए यह पहले से ज्यादा मुसीबत बन गई है। क्षेत्रीय पार्षद ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर जांच कराने और दोबारा रोड बनाने को कहा है।

वार्ड 4 के तहत सेंटपाल स्कूल के पीछे तराना कानीपुरा रोड के शहरी हिस्से में एमआर 5 तिराहे से शासकीय कन्या उमावि तक नगर निगम ने कांक्रीट रोड पर पिछले जून माह में आनन फानन डामरीकरण किया था। पहली ही बारिश में इसका डामर उखडऩे लगा और अब हाल ये हैं कि पूरी सडक़ उखड़ गई है और जगह जगह जानलेवा गड्ढे हो गए हैं, जबकि पहले कांक्रीट रोड पर यह दिक्कत नहीं आ रही थी।

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रोड निर्माण के लिए क्षेत्रीय पार्षद बबीता घनश्याम गौड़ ने प्रयास किया लेकिन गर्मी के मौसम की जगह बारिश से ठीक पहले रोड पर डामरीकरण किया गया। डामरीकरण के बाद ही बारिश का दौर शुरू हो गया और रोड बेकार हो गई। अब हाल ये हैं कि लोग कह रहे हैं कि इससे तो अच्छा होता रोड ही नहीं बनाते। पहले रोड पर इतने गड्ढे तो नहीं थे। पार्षद गौड़ ने 20 जुलाई को नगर निगम को पत्र लिखकर इस रोड निर्माण की जांच कर दोबारा रोड बनाने को कहा है।

भ्रष्टाचार का नया तरीका अब कौन करे जांच?

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रोड निर्माण का ठेका निगम ने ठेकेदार अमित जिंदल को 28 लाख रुपए में दिया था। ठेकेदार ने बारिश से पहले का ऐसा समय चुना जब रोड का निर्माण नहीं करना था। पार्षद गौड़ का कहना है उन्होंने भी कहा था कि बारिश का मौसम नजदीक है, इसलिए अभी रोड निर्माण न किया जाए। ठेकेदार ने ताबड़तोड़ कांक्रीट रोड पर ही डामरीकरण कर दिया। जबकि डामरीकरण से पहले गिट्टी बिछाई जाती है और उसे दबाने के बाद डामरीकरण किया जाता है। निगम अधिकारियों का कहना है कि बारिश के पानी की निकासी नहीं होने से डामरीकरण उखड़ गया। दरअसल, भ्रष्टाचार से कमाई करने के लिए यह नया तरीका है कि बारिश से पहले डामर की रोड बनाओ और सारा दोष बारिश के पानी पर डाल दो। निगम अधिकारी चाहते तो यह रोड बारिश बाद भी बना सकते थे।

अब तक जांच के लिए नहीं आए अफसर

रोड खराब होने के बाद पार्षद द्वारा 20 जुलाई को नगर निगम आयुक्त के नाम पत्र लिखकर रोड निर्माण की जांच के लिए कहा जा चुका है, लेकिन किसी बड़े अधिकारी ने इसकी जांच करने की जरूरत नहीं समझी। जोनल अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि बारिश के

पानी की निकासी न हां, पत्र लिखा है

रोड पर बारिश से ठीक पहले डामरीकरण किया गया था, जबकि रोड बनाने से मना किया था। 28 लाख की राशि से बनी यह रोड अब पूरी तरह खराब हो गई है। बारिश के पानी की निकासी नहीं है। दोनों तरफ नाली पर निर्माण हो चुके हैं, जिससे पानी निकल नहीं पाता। 20 जुलाई को आयुक्त को पत्र भेजकर जांच की मांग की है। – बबीता घनश्याम गौड़, पार्षद

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