बहादुरी का जज्बा… घर के झगड़ों से तंग नाबालिग ने शिप्रा में छलांग लगाई, ऑटो ड्राइवर ने जान बचाई

एसपी ने किया सम्मान, 10 हजार का इनाम भी दिया

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जाको राखे सांइया मार सके ना कोय… मतलब जिसकी रक्षा भगवान करे उसे कौन मार सकता है। यह पंक्ति एक बार फिर साबित हुई जब घर के झगड़ों से तंग इंदौर के एक नाबालिग ने अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए शिप्रा में छलांग लगा दी। वहां से गुजर रहे ऑटो चालक ने जान की परवाह किए बगैर छलांग लगाई और नाबालिग को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। ऑटो चालक की इस बहादुरी के लिए एसपी ने 10 हजार रुपए का इनाम देकर सम्मानित किया और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा घोषित जीवन रक्षा पदक के लिए नाम भी भेजा है।

दरअसल, इंदौर के एरोड्रम क्षेत्र का रहने वाला नाबालिग माता-पिता के झगड़ों से परेशान होकर रविवार-सोमवार की दरमियानी रात उज्जैन पहुंचा और नानाखेड़ा में डमरू वाला रेस्टोरेंट के पीछे स्थित ब्रिज से रात करीब १२ बजे शिप्रा में छलांग लगा दी। हाटकेश्वर में रहने वाला ऑटो चालक रामू ठाकुर गुजरा। उसने नाबालिग को डूबते देखा तो नीचे उतरा और उसे सुरक्षित बाहर निकाल लाया। उसकी इसी बहादुरी के लिए एसपी प्रदीप शर्मा ने उसे सम्मानित किया।

ऑटो चालक रामू ठाकुर ने बताया जिस वक्त मैं वहां पहुंचा तो युवक डूब रहा था और बचाने के लिए चिल्लाने रहा था। मैंने कुछ लोगों से कहा मदद के लिए मेरे साथ नीचे चले लेकिन कोई नहीं आया। बस तभी मैंने अकेले जाने का फैसला किया और उसे सुरक्षित बाहर निकाल लाया। इस घटना से यह पता चलता है कि लोग कैसे डूबते बच्चे को तमाशबीन बनकर देखते रहे। हालांकि, इसके पीछे एक कारण यह भी है कि आमजन के मन में यह भय होता है कि यदि उसने किसी की मदद की तो पुलिस केस में वही ना फंस जाए इसलिए अक्सर लोग मदद करने से बचते हैं।

अपने जैसे लोगों की टीम बनाएं

सम्मान के इन पलों के बीच एसपी प्रदीप शर्मा ने रामू ठाकुर से आग्रह भी किया कि वह अपने जैसे 10-12 लोगों की टीम तैयार करें जो सिंहस्थ 2028 में इसी बहादुरी के जज्बे से काम कर सके। इसके लिए रामू ने भी हामी भरकर स्वीकृति भी दी।

सीएसपी ने समझाया, कहा- अभी बहुत कुछ करना है
घटना की सूचना मिलने पर सीएसपी सुमित अग्रवाल भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने नाबालिग बच्चे को समझाते हुए कहा जीवन में अभी आपको बहुत कुछ करना है। ऐसा काम करना है जिससे सबको गर्व हो। जान देने से क्या होगा, क्या माता-पिता के झगड़े बंद हो जाएंगे।

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