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घोटालों और दलाली के आरोपों के बाद भी 8 वर्षों से एक ही जगह पदस्थ आरटीओ

ईओडब्ल्यू एसपी को पत्र लिखकर भाजपा पार्षद ने की जांच की मांग

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। सरकार का नियम है कि कोई भी अफसर अपने पद पर एक स्थान या शहर में 3 वर्षों तक पदस्थ रह सकता है। इससे अधिक समय होने पर उसका अन्यत्र तबादला कर दिया जाता है। लेकिन शहर के शासकीय विभागों में अनेक ऐसे अफसर पदस्थ हैं जो वर्षों से एक ही पद और विभाग में पदस्थ हैं। उनके खिलाफ कई बार आरोप लगे, जांच हुई, निलंबन की स्थिति बनी लेकिन अंत में कुछ नहीं हुआ। ऐसे ही एक अफसर हैं आरटीओ संतोष मालवीय। इनके खिलाफ अब वार्ड ५३ की भाजपा पार्षद निर्मला करण परमार ने मोर्चा खोला है।

आरटीओ मालवीय पिछले 8 वर्षों से उज्जैन में पदस्थ हैं। उन पर अलग-अलग समय में फाइल घोटाला, फिटनेस परमिट घोटाला, लायसेंस में दलाली और आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगे। खास बात यह कि तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने तत्कालीन एडीएम नरेन्द्र सूर्यवंशी से मालवीय पर लगे आरोपों की जांच कराई।

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पूरी फाइल तैयार करने के बाद कलेक्टर ने निलंबन की अनुशंसा करते हुए फाइल भोपाल भेजी, लेकिन आरटीओ का कुछ नहीं बिगड़ा। उनके यहां पदस्थ रहते लोकसभा, विधानसभा चुनाव भी सम्पन्न हुए। चुनाव आयोग ने भी उनके लंबे समय तक एक ही स्थान पर पदस्थ रहने पर संज्ञान नहीं लिया। चुनाव के दौरान भी उनका तबादला नहीं हो पाया। आरटीओ के साथ उनके सहयोगी प्रदीप शर्मा पर भी पार्षद ने आरोप लगाकर ईओडब्ल्यू एसपी को पत्र सौंपा है।

संपत्ति की जांच कराएंगे

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पार्षद पति करण परमार ने चर्चा में बताया कि आरटीओ संतोष मालवीय और उनके सहयोगी प्रदीप शर्मा ने उज्जैन में कार्यरत रहते हुए भ्रष्टाचार से करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित की है। उन्होंने शिप्रा विहार में करोड़ों का बंगला बनाया और रिश्तेदारों के नाम से देवास, इंदौर, शाजापुर की पॉश कालोनियों में मकान प्लाट खरीदे हैं। उन्होंने थाने में बंद वाहनों के फिटनेस बनाए जिसकी जांच आरटीओ के क्लर्क तक सीमित रही। आरटीओ मालवीय और उनके सहयोगी प्रदीप शर्मा की संपत्ति की जांच के लिए शिकायती आवेदन एसपी को सौंपा है।

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