मैं DSP बोल रहा हूं, आपका बेटा सामूहिक रेप केस में फंसा है, बचाना है तो 50 हजार भेज दो

By AV NEWS

बेटा इंदौर के एक होटल में काम कर रहा था उसे फोन लगाने के बजाय 10 हजार भेज दिए

उज्जैन। डिजीटल अरेस्ट के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सोशल मीडिया लगातार आगाह कर रहा है, लेकिन लोग ठगों के झांसे में आकर खुद को लुटवा रहे हैं। ताजा मामला उज्जैन के ही 63 वर्षीय ललित बाफना का है।

वे मूलत: झालावाड़ के सुनेल गांव निवासी हैं। इन दिनों खाराकुआं स्थित ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी में मैनेजर हैं। इनका बेटा 23 वर्षीय अमन इंदौर की एक होटल में काम करता है। ललित को इतना डराया कि वे ठग के खाते में दस हजार रुपए ट्रांसफर करने को मजबूर हो गए। 10 हजार रुपए ट्रांसफर करने के बाद बेटे को फोन लगाया तब पता चला कि डीएसपी बनकर फोन लगाने वाला ठग था।

खाराकुआं पुलिस को दी गई शिकायत में ललित ने बताया कि शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 5 मिनिट पर 7380882730से उनके पास वीडियो काल आया। सिर्फ आवाज आ रही थी। फोन करने वाले ने कहा मैं इंदौर से डीएसपी बोल रहा हूं, आप का बेटा सामूहिक रेप केस में गिरफ्तार हुआ है। अगर उसे बचाना चाहते हैं तो हम आपको अकाउंट नंबर बता रहे हैं, इसमें 50 हजार रुपए भेज दी जिए।

आवाज मिलती जुलती आ रही थी

ललित ने पुलिस को बताया कि वीडियो काल में उन्होंने एक आवाज सुनवाई वह बेटे की आवाज से मिलतीजुलती थी। उधर से बेटे की आवाज में बदमाश बोली रहा था- पापा किसी भी तरह मुझे बचा लो। आवाज सुनवाने के बाद ठग ने फिर कहा इस मामले की जानकारी किसी को न दें, वरना आप मुसीबत में आ जाएंगे। आपके बेटे का मोबाइल भी पुलिस ने बरामद कर लिया है।

एक मित्र से 10 हजार रुपए उधार लिए

ललित ने पुलिस को बताया कि उनके पास पैसे की व्यवस्था नहीं थी इसलिए एक मित्र को फोन लगाया और उनसे 10 हजार रुपए उधार लिए। यह राशि उस ठग द्वारा बताए गए अकाउंट में ऑनलाइन भेज दी। बदमाश इतना शातिर था कि उसने दो घंटे तक ललित को वीडियो काल में उलझाए रखा।

बेटे से बात हुई तो ठगी का राज खुला

इस घटना के बाद ललित ने अपने पुत्र अमन को फोन लगाया। अमन ने फोन रिसीव किया। ललित ने पूछा कि तुम लोगों ने यह कौन सा अपराध कर दिया। इतना सुनते ही अमन तमतमा गया। उसने कहा- पापा मैं सुबह से ही होटल पर काम कर रहा हूं। किसी भी अपराध से मेरा कोई संबंध नहीं है। इसके बाद पिता ने अपने साथ हुई वारदात का पूरा किस्सा सुना दिया। दोनों समझ गए कि डीएसपी बनकर फोन करने वाला कोई ठग था। इस घटना में ललित के साथ जो वारदात हुई है ऐसा कई लोगों के साथ हो चुका है। ललित की सबसे बड़ी गलती यह रही कि वे वीडियो काल पर लगे रहे। फोन काटकर यदि बेटे को फोन लगा लिया होता तो १० हजार रुपए से हाथ नहीं धुलते।

थाने में आरक्षक के पास फोन आया

खाराकुआं थाने में एक आरक्षक के पास इसी तरह एक बदमाश का फोन आया और कहा कि आपने गैस की टंकी बुक तो करवा दी है लेकिन राशि ट्रांसफर नहीं हुई है। जब तक राशि जमा नहीं होगी अपको सिलेंडर नहीं भेजा जाएगा। आरक्षक समझदार थे उन्होंने फोन काट दिया। बस यही समझदारी सभी लोग बरत लें तो कोई भी व्यक्ति साइबर ठगी और डिजीटल अरेस्ट का शिकार नहीं हो सकेगा।

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