देश का मूड… भारत अब आतंक, आतंकी और आतंकवाद से मुक्त हो- इंद्रेश कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य से खास चर्चा

उज्जैन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा इस बार देश का मिजाज आतंक, आतंकी और आतंकवाद से मुक्ति पाने का है और इस बार पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया जाएगा। इसमें उसके टुकड़े भी हो सकते हैं।

कुमार उज्जैन में सिंधु दर्शन यात्रा समिति की बैठक में शामिल होने आए थे। इस दौरान उन्होंने मीडियाकर्मियों से चर्चा की। उन्होंने कहा पाकिस्तान बनने के बाद से अब तक कभी भी जंग रुकी नहीं है। क्योंकि पाकिस्तान अलगाववाद और आतंकवाद के साथ चल रहा है। उसके कर्ता-धर्ताओं ने उदय के साथ ही नारा दिया था, हंसकर लिया है पाकिस्तान, लडक़र लेंगे हिंदुस्तान। उनकी देशभक्ति भारत विरोध में है। इसके चलते वह भारत में आतंकवाद को पोषित करते हैं लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश का माहौल बदल गया। भारत और खासकर कश्मीर आंतक, आतंकी और आतंकवाद से अब मुक्ति चाहता है। लगातार हिदुंस्तान के विकास में ग्रहण लगाने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाने का समय आ गया है।

जनता के मूड को देखते हुए सरकार भी पाकिस्तान को सबक सिखाने जा रही है। कुमार ने कहा भारत ने अब तक के अपने सिलेक्टिव अटैक से पाकिस्तान और चीन दोनों को हतप्रभ कर दिया है। लाहौर डिफेंस सिस्टम पर हमला करके भारत ने बता दिया है कि उसका दम कितना है। इसे चीन ने तैयार किया था और उसे हमले का पता तक नहीं चला। ऐसे में चीन और तुर्किए दोनों को पाकिस्तान जैसे शैतान का साथ नहीं देना चाहिए।

सवाल 1  पाक पर हमला अखंड भारत की तरफ बढ़ता कदम तो नहीं?
हमले के पीछे संघ की अखंड भारत की थ्योरी के सवाल पर कुमार ने कहा पाकिस्तान अपने ही बोझ और गलतियों से टूटेगा। पीओजेके, सिंध और सिंधु, बलूचिस्तान उससे मुक्ति चाहते हैं और भारत के हमले से इसकी संभावना बढ़ती जा रही है। हालांकि इसमें संघ का सीधा दखल नहीं है लेकिन संघ समाज के रूप में सरकार के साथ खड़ा है। १४० करोड़ लोगों की आवाज यह कहती है कि हमको अपने खोए इलाके लेना चाहिए। इस पर पूरे देश की एक राय है। पहली बार पूरा मुस्लिम समाज एक भारतीय के रूप में खड़ा है।

सवाल 2  आरएसएस की परिवार बढ़ाने की सलाह मौजूदा महंगाई के जमाने में कितनी मुफीद?
आरएसएस की परिवार बढ़ाने की सलाह पर कुमार ने कहा लोगों में इस सलाह को समझने में गलती हो रही है। दरअसल, परिवार बढ़ाने का आग्रह इसलिए किया जा रहा है कि परिवार व्यवस्था टूटे नहीं, बिखरे नहीं और खत्म नहीं हो। इसलिए उतना करो जिससे सारे रिश्ते जीवित रहे जिससे एक व्यवस्थित परिवार चलता रहे। चाचा- ताऊ, मामा, मौसी के रिश्ते बने रहें इसलिए परिवार इतना बनाओ कि परिवार व्यवस्था हंसती-खेलती बढ़ती रहे। इसके लिए कमाने की भी जरूरत है। संघ प्रमुख ने कहा था कि हमारा परिवार मूल व्यवस्था का वह अंश है जो सब प्रकार की कठिनाइयों और चुनौतियों से पार पा लेता है। यह अनुशासन लाता है। परिवार मजहब के नाम पर सत्ता पाने के लिए नहीं बनाया जाता, परिवार इसलिए बनाया जाता है कि आप मानवता के नाम पर समाज के अंदर अच्छे आचरण को पैदा सकें।

सवाल 3  युद्ध पर भारी खर्च होता है, कठिनाई भी आती है, इस युद्ध का भार देश कैसे उठा पाएगा?
युद्ध की कठिनाई और आर्थिक भार पर भी इंद्रेश कुमार ने बात की। आर्थिक भार के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत गरीब नहीं, स्वाभिमानी देश है। गरीब भी आजादी और इज्जत पसंद करता है। वह गुलाम नहीं रहना चाहता। हमने आधी दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटिश साम्राज्य को उखाडक़र फेंक दिया। आज महंगाई बढ़ी तो लोगों ने अपनी क्षमता बढ़ा ली और महंगाई से दो- दो हाथ किए। चीन ने आंखें तरेरी तो उसके माल का बहिष्कार किया। हम हिंदुस्तानियों का जज्बा गजब का है। आज भी भारत के लोग आतंकवाद को खत्म करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं और पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहते हैं। इस तरफ हिंदुस्तान बढ़ चला है। यह जब तक जारी रहेगा जब तक कि पाकिस्तान बिखरता नहीं है और आतंकवाद खत्म नहीं होता।

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