कल दिनभर सोशल मीडिया पर गुजरात की उस होनहार छात्रा की चर्चा रही जिसने नीट परीक्षा में टाप किया पर गुजरात बोर्ड 12वीं की परीक्षा में मुख्य और पूरक दोनों परीक्षाओं में शानदार ढंग से फेल हो गई। पर मुझे उस छात्रा से पूरी सहानुभूति है और उसकी प्रतिभा पर पूरा विश्वास है। बोर्ड ने उसके भविष्य के साथ घोर अन्याय किया है। देश में डॉक्टरों की पहले ही कमी है!
हो सकता है उस छात्रा का स्तर परीक्षकों के स्तर से ऊंचा रहा हो! उत्तर पुस्तिकाओं में जो छात्रा ने लिखा हो वह परीक्षकों के सिर के उपर से फुर्र हो गया हो! वरना नीट जैसी एक राष्ट्रीय परीक्षा की टॉपर भला प्रदेश बोर्ड में फेल कैसे हो सकती है! कुछ तो गड़बड़ है! इसके लिए एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति बनानी चाहिए जो पूरे प्रकरण की गहज जांच-पड़ताल करे। यह राष्ट्रहित में जरूरी है क्योंकि आज का विद्यार्थीं देश का कल है। फिर किसी एक राज्य के परीक्षकों की भूल-चूक या गलती की सजा पूरा देश क्यों भुगते।
जांच के कई बिंदु हो सकते हैं जैसे- नीट की तरह गुजरात बोर्ड के पेपर लीक हुए या नहीं? नहीं हुए तो क्यों नहीं हुए? यदि हुए तो उस छात्रा को मिले या नहीं? नहीं मिले तो उसका दोषी कौन है? जिन परीक्षकों ने कापियां जांची, उनकी नियुक्ति नियमानुसार हुई या नहीं? वे नियुक्ति के पात्र भी थे या नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं किसी कामर्स या आर्टस् के टीचर ने सांईस की कापियां जांच दी हों! कापियां जाचंते समय परीक्षक पूरे होशो -हवास में थे या उस ड्राय प्रदेश में प्रतिबंधित किसी गीले पदार्थ में मस्त थे?
परीक्षकों ने कापियां खुद जांची या अपने किसी शिष्य या जूनियर से जंचवाई? कहीं छात्रा से इस बात का प्रतिशोध तो नहीं लिया गया कि उसने उन परीक्षकों की ट्यूशन नहीं की? या परीक्षकों को कभी अपने घर के बने खमण -ढोकला नहीं खिलाए? कहीं ऐसा तो नहीं कापियां जांचते समय परीक्षक टीवी पर टी-20 का वल्र्ड कप मैच देख रहे हों या किसी लोकल चैनल पर गरबे – डांडिया देखने में मशगूल हो! लॉ मेरा विषय नहीं रहा वरना मैं जांच के ऐसे एक हजार से भी अधिक बिंदु राष्ट्र की सेवा में प्रस्तुत कर देता और उस पीडि़त पक्षकार को न्याय दिलवाता…!इति शुभम्
डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा