महाकाल का एक हजार साल पुराना मंदिर अब छह माह में बनेगा!

पत्थरों के लिए पुरातत्व विभाग ने लगाया दोबारा टेंडर
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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। महाकाल मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान निकले एक हजार साल पुराने मंदिर को दोबारा बनाने में पुरातत्व विभाग को पत्थरों की सप्लाई से जूझना पड़ रहा है। पुराना ठेकेदार काम नहीं कर सका। इस कारण दोबारा नया ठेका देना पड़ा। अब विभाग ने नए सिरे से मंदिर बनाने का काम शुरू कर दिया है। अगर ठेकेदार की तरफ से कोई अड़चन नहीं आई तो छह माह में यह पुराना मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।
महाकाल लोक निर्माण कार्य के दौरान जून 2021 में खुदाई के दौरान महाकाल मंदिर के सामने पुराने अवशेष मिले थे। पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा किए गए सर्वे में पता चला था कि यहां एक हजार साल पुराना मंदिर था। पुरातत्व विभाग 37 फीट ऊंचा मंदिर बनाने में वापस जुट गया। इसके लिए पत्थर और मटेरियल का ठेका भी दे दिया गया था, लेकिन ठेकेदार काम नहीं कर सका जिससे मंदिर का निर्माण अधर में पड़ गया था।
विभाग के अधिकारियों ने बताया इसके लिए नई टीम बनाकर मंदिर बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। मंदिर के पत्थरों को वापस सेट किया जा रहा है। विशेषज्ञों की देखरेख में इस स्थान से मिले स्तंभ, कुंभ भाग, आमलक आदि के अवशेषों का वर्गीकरण किया जा चुका है। विभाग ने पुरा अवशेषों पर नंबरिंग भी की है। पुरातत्व विभाग अब आधार भाग से शिखर तक के हिस्सों को जोडक़र प्राचीन स्वरूप में ही मंदिर निर्माण करेगा।
अभी नंबरिंग से जमा रहे पत्थर
मंदिर परिसर में बिखरे पत्थरों को अभी एक जगह नंबरिंग के अनुसार जमा किया जा रहा है ताकि निर्माण कार्य भी बाधित न हो। अन्य पत्थरों के आने पर मंदिर निर्माण कार्य शुरू होगा।
खंडित नंदी और शिवलिंग संग्रहालय में रखे जाने की तैयारी: खुदाई में निकले खंडित शिवलिंग और नंदी जी को त्रिवेणी संग्रहालय में रखे जाने की कवायद की जा रही है। खंडित प्रतिमाओं की पूजा नहीं की जा सकती। इस कारण टीम यह प्रयास भी कर रही, जिससे हजार साल पुराने अवशेष लोग संग्रहालय में देख सकें।
दोबारा काम शुरू कर दिया
महाकाल मंदिर परिसर से मिले एक हजार साल पुराने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। नया ठेका होने से आवश्यक पत्थरों की सप्लाई मिल सकेगी। अगर मटेरियल समय पर मिला तो आने वाले छह माह में इसे बनाकर तैयार कर देंगे।- डॉ. रमेश यादव, पुरातत्व अधिकारी, भोपाल
अब यह टीम कर रही मंदिर निर्माण
डॉ. रमेश यादव पुरातत्व अधिकारी भोपाल से इसका सुपरविजन कर रहे हैं। त्रिवेणी संग्रहालय के प्रभारी योगेश पाल स्थानीय स्तर पर कोऑर्डिनेशन कर रहे हैं। इंदौर पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेटकर प्रकाश परांजपे, डीके सूद और इंजीनियर रोकड़े इसे मंदिर का आकार देने की तैयारी कर रहे।