हमारा फ्रीगंज उज्जैन की जॉन बने स्मार्ट बिजनेस सेंटर की पहचान

अक्षरविश्व बिजनेस लीडर डायलॉग में बोले व्यापारी- अब वक्त है सोच और सिस्टम बदलने का
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ट्रैफिक, पार्किंग और अतिक्रमण सबसे बड़ी चिंता
बिजनेस का माहौल बेहतर, पर लोकल सिस्टम सुस्त
अब बिजनेस डर से नहीं, डाक्यूमेंट से चलता है
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। शहर के लोकल मार्केट को बढ़ावा देने के मकसद से अक्षरविश्व की पहल आपका शहर, आपकी दुकान, आपके लिए के तहत हुए अक्षरविश्व बिजनेस लीडर डायलॉग में फ्रीगंज क्षेत्र को स्मार्ट बिजनेस सेंटर बनाने पर बिजनेस मैन ने मंथन किया। उन्होंने डबल इंजन सरकार के काम की तारीफ की लेकिन लोकल सरकार का इंजन फुल स्टार्ट नहीं होने पर नाखुशी भी जाहिर की।
अव्यवस्थित ट्रैफिक, बीच सड़क तक फैले अतिक्रमण और बेतरतीब पार्किंग पर व्यापारियों ने गहरी नाराजगी जाहिर की। इंस्पेक्टरराज से मुक्ति पर वह खुश दिखे तो ऑनलाइन पेमेंट से पड़ रही आर्थिक चोट से चिंतित भी दिखे। उद्यन मार्ग स्थित अक्षरविश्व स्टूडियो में बुधवार को आयोजित डायलॉग में बिजनेसमैन ने खुलकर अपनी बात रखी।
बिजनेस के लिए यह अच्छी बात
सेंट्रल और स्टेट सरकार की पॉलिसी की वजह से बिजनेस आसान हुआ है। अब गुमाश्ता, लेबर जैसे लाइसेंस आसानी से बनते हैं और इनकी निगरानी जैसी परेशान नहीं होती। इंस्पेक्टरराज करीब-करीब खत्म हो गया है।
जीएसटी 2.0 से बिजनेस बढ़ा है। कस्टमर अब बड़ी संख्या में खरीदी कर रहे हैं। टर्नओवर पहले से बढ़ा है।
इंकम टैक्स विभाग से भी राहत मिली है। रिटर्न भरने- रिफंड की प्रोसेस आसान हुई है।
बिजनेस की बदलती धार
1. अब बिजनेस सीजन नहीं, जेब पर डिपेंड है
2. ग्राहक के पास पैसे और ऑफर दोनों होने चाहिए
3. ऑनलाइन पेमेंट पर लगने वाले ट्रांजेक्शन चार्ज से व्यापारी परेशान
4. डीजे का शोर नियंत्रित हो, सड़क पर बर्थ-डे मनाने पर प्रतिबंध लगे
व्यापारियों का विजन… मल्टीलेवल और अंडरग्राउंड पार्किंग बने, टै्रफिक पुलिस सख्ती करे
पहले इंस्पेक्टर डराते थे, अब सिस्टम स्मूथ है। पर अब सड़कें डराती हैं। सुबह से शाम तक हर सड़क पर जाम लगता है।-प्रदीप सोमानी, (मानस मेडिकोज )
फ्रीगंज के स्मार्ट बिजनेस सेंटर बनने में सबसे बड़ी बाधा थ्री लेयर अतिक्रमण है। खासकर टॉवरचौक पर।यहां दुकानों के बाहर ठेले वालों का कब्जा है और सड़क पर नीचे बैठकर भी लोग कारोबार कर रहे हैं। मल्टीलेवल पार्किंग बनानी चाहिए।-दिनेश विजयवर्गीय (जॉन प्लेयर)
कटचौक में दुकानें लग गई हैं। ठेले वालों ने सड़क घेर ली है। मक्सीरोड पर सब्जीमंडी है लेकिन दुकानें अभी भी फ्रीगंज में लग रही हैं।
आशीष दिसावल-(शिवम इंटरप्राइजेस)
पार्किंग की कमी से रोज़ नुकसान होता है। ग्राहक घूमकर चला जाता है। इस बारे में विचार होना चाहिए।
प्रकाश जैन-(जय जिनेंद्र कलेक्शन)
ऑनलाइन पेमेंट के चार्ज से दिक्कत है। ग्राहक ऑनलाइन या एप के जरिये पेमेंट कर रहे हैं। इन पर व्यापारियों से चार्ज लिया जा रहा है। यह बंद होना चाहिए।-विश्वास जैन (सन्मति सागर)
फ्रीगंज कभी उज्जैन का दिल था, अब इसकी सांस फूली हुई है। सिस्टम को व्यवस्थित ट्रैफिक, बढिय़ा पार्किंग की ऑक्सीजन चाहिए।
सौरभ जैन (विमल सागर)
ट्रैफिक, पार्किंग और अतिक्रमण मुक्ति पर ध्यान देना होगा। तभी फ्रीगंज स्मार्ट बिजनेस सेंटर बन सकेगा।
नलिन खंडेलवाल (इनवर्टर निर्माता)
ट्रैफिक, पार्किंग पर अगर ध्यान दिया जाए तो फ्रीगंज अच्छा स्मार्ट बिजनेस सेंटर बन सकता है। यह कोई मुश्किल काम नहीं है। – ईश्वर पटेल (उद्योगपति)
फ्रीगंज की दो समस्याएं प्रमुख हैं।पहली ट्रैफिक और दूसरी पार्किंग। ट्रैफिक पुलिस सख्ती कर ठीक कर सकती है। पार्किंग की समस्या का हल मल्टीलेवल और अंडरग्राउंड पार्किंग हो सकती है। फ्रीगंज में जगह है और यह काम आसानी से हो सकता है।
विजय अग्रवाल-(प्रदेश सहसंयोजक, भाजपा व्या.प्र.)
यह सुझाव भी आए
पोर्च और कटचौक से अतिक्रमण हटे
सब्जी विक्रेताओं को मक्सी रोड सब्जी मंडी में शिफ्ट किया जाए
मल्टीलेवल / अंडरग्राउंड पार्किंग बनाई जाए
नालियों की सफाई के लिए स्मार्ट मॉनिटरिंग सिस्टम
सुविधाघर, डस्टबिन और सार्वजनिक शौचालय हर 300 मीटर पर
फ्रीगंज स्मार्ट बिजनेस सेंटर बनने में दिक्कत
1. अतिक्रमण बना स्थायी दर्द
1938में बसे चौड़ी सड़कों वाले फ्रीगंज की रोड भारी ट्रैफिक, बेतरतरीब पार्किंग, ठेले वाले-दुकानदारों के अतिक्रमण से संकरी हो गईं। पोर्च दुकानों के सामान से अटे हैं और पार्किंग के लिए बनाए गए कटचौक में अतिक्रमण कर दुकानें लगा ली गई हैं। ठेले और फुटकर विक्रेताओं के कारण लोगों का चलना तक मुश्किल हो गया है।
सुझाव: पोर्च पैदल चलने के लिए है, व्यापार के लिए नहीं। कटचौक पार्किंग के लिए हैं, दुकानों के लिए नहीं।
2 . ट्रैफिक बना रोज का युद्धक्षेत्र
चौड़ी सड़कों, कनेक्टिंग रोड और एक सड़क से दूसरी तक जाने के लिए मकानों के बीच छोड़ी गईं गलियों पर अतिक्रमण होने से ट्रैफिक बिगड़ गया है। हर सड़क, चौराहे पर जाम लगता है। कोई रूट तय नही होता।
सुझाव: ट्रैफिक को ‘मैनेज नहीं, ‘डिजाइन करना होगा। ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी स्थायी व्यवस्था करनी होगी। पुलिस को दबाव से मुक्त करना होगा।
3. अव्यवस्थित पार्किंग
फिक्स पार्किंग नहीं है। ऐसे में चाहे, जहां लोग वाहन खड़े कर देते हैं। खासकर फोर व्हीलर।
सुझाव: मल्टीलेवल या अंडरग्राउंड पाॢकंग बने। शहीद पार्क पर अंडरग्राउंड और पाकीजा के पास खाली नगर निगम के प्लाट पर मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जा सकती है।
4. सुविधाघर, सफाई की अनदेखी
करीब 1000 दुकान, शोरूम, वाले फ्रीगंज क्षेत्र में सुविधाघर की भी कमी है। गिनती के सुविधाघर हैं। यह भी काफी दूर-दूर हैं। अतिक्रमण के कारण नालियों की सफाई नहीं होती। सुझाव: नए सुविधाधर बने। नालियों की सफाई की व्यवस्था की जाए।









