श्रवण नक्षत्र में राखी, साढ़े पांच घंटे रहेगा विशेष मुहूर्त

By AV NEWS

अक्षरविश्व न्यूजउज्जैन। रक्षाबंधन का पर्व कल 19 अगस्त को श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति और सोम-श्रवण के सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा। पंचांग की गणना के अनुसार, इस साल भद्रा 19 अगस्त को रक्षाबंधन पर आधे दिन रहेगी। भद्रा सूर्योदय से पहले शुरू होकर दोपहर करीब 1:30 बजे तक रहेगी। ऐसे में रक्षाबंधन पर साढ़े पांच घंटे विशेष मुहूर्त रहेगा।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नक्षत्र विशेष का संयोग होता है, तो विशिष्ट योग की स्थिति को निर्मित करता है। ऐसे विशिष्ट योग में पर्व काल व उत्सव काल विशेष महत्व रखते हैं। सोमवार को भद्रा का समय दोपहर 1.30 बजे तक रहेगा। इसके बाद रक्षाबंधन का पर्व काल मनाया जाएगा। रक्षाबंधन पर दोपहर 1.30 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक खास मुहूर्त है। विशेष मुहूर्त के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।

राखी बांधने का सबसे शुभ समय दोपहर 1.30 बजे से शाम 7 बजे के बीच रहेगा। इस बार शाम 7 बजे तक लगातार चर, लाभ और अमृत का शुभ चौघडिय़ा मुहूर्त रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा से कृष्ण जन्माष्टमी तक मनाया जा सकता है। मुहूर्त शास्त्र के अनुसार, राखी का त्योहार हमेशा शुभ समय देखकर ही मनाना चाहिए। रक्षाबंधन के समय भद्राकाल का ध्यान रखना चाहिए।

श्रावण महापर्व का समापन

महाकाल मंदिर के पं.आशीष पुजारी ने बताया श्रावणी पूर्णिमा पर सोमवार के दिन श्रावण महापर्व का समापन होने जा रहा है। महाकाल मंदिर में इस उत्सव को खास बनाने के लिए विशेष तैयारी की गई है। पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा भगवान महाकाल को बांधने के लिए विशेष राखी तैयार की है। भस्म आरती में भगवान महाकालेश्वर का सोनेचांदी के आभूषण से श्रृंगार किया जाएगा। रक्षाबंधन के दिन रविवार-सोमवार की दरमियानी रात 2.30 बजे भस्म आरती में उत्सव मनाया जाएगा। पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत व फलों के रस से महाअभिषेक करेंगे। महाकाल के दिव्य श्रृंगार के बाद बाद पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को राखी बांधेगी। इसके बाद भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डू का महाभोग लगाकर आरती की जाएगी।

श्रावणी उपाकर्म भी

सिद्धवट तीर्थ पर ब्राह्मणों का श्रावणी उपाकर्म होगा। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि सिद्धवट तीर्थ पर आचार्य द्वारकेश व्यास के आचार्यत्व में सोमवार को प्रात: 10.00 बजे रक्षाबंधन पर्व पर हिमाद्री स्नान, पितृ तर्पण, सप्तऋषि पूजन ,कर श्रावणी उपक्रम संपन्न कर नूतन यज्ञोपवित्र धारण करेंगे। इसी प्रकार रामघाट पर भी ब्राह्मणों का उपाकर्म सुबह 7 बजे से शुरू होगा। सहस्त्र औदीच्य ब्राह्मण समाज धर्मशाला कोटिलिंगेश्वर महादेव अवंतिपुरा में सुबह 9.30 बजे से श्रावणी उपाकर्म किया जाएगा।

ब्राह्मण नई जनेऊ धारण करते हैं

श्रावणी उपाकर्म सावन मास की पूर्णिमा के दिन किया जाता है। यह पर्व जनेऊधारी ब्राह्मणों के लिए है। इसी दिन वे वर्ष भर पश्चात पुरानी जेनऊ उतारकर नई जनेऊ धारण करते हैं। श्रावणी उपाकर्म में पाप-निवारण हेतु पातकों, उपपातकों और महापातकों से बचने, परद्रव्य अपहरण न करने, परनिंदा न करने, आहार-विहार का ध्यान रखने, हिंसा न करने, इंद्रियों का संयम करने एवं सदाचरण करने की प्रतिज्ञा ली जाती है। श्रावणी उपाकर्म के 3 पक्ष हैं- प्रायश्चित संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय।

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