महाकाल में वीआईपी दर्शन पर टेक्नोलॉजी का पहरा…

डिजिटल वॉच सिस्टम से पता चलेगा कौन लाया खास मेहमान कितनी हुई एंट्री
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अक्षरविश्व न्यूज. हरिओम राय. उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी दर्शन व्यवस्था की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मंदिर प्रशासन ने सराहनीय और कड़ा कदम उठाया है। अब प्रोटोकॉल के तहत दर्शन करने आने वाले हर खास मेहमान पर रियल टाइम में नजर रखी जा रही है, जिसकी सीधी निगरानी उच्च अधिकारियों द्वारा मोबाइल पर की जा रही है। मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक के निर्देश पर लागू हुई यह नई व्यवस्था, जनप्रतिनिधियों, न्यायिक अधिकारियों, अभिनेताओं और मीडियाकर्मियों जैसे विशेष अनुशंसा प्राप्त श्रद्धालुओं पर केंद्रित है।
इस तरह हो रही प्रोटोकॉल सिस्टम की निगरानी
एंट्री पॉइंट- जब कोई वीआईपी श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचता है, तो शंख द्वार पर तैनात कर्मचारी तुरंत उसकी पूरी जानकारी गूगल डॉक्स में कंप्यूटर पर दर्ज करते हैं।
अलर्ट- यह एंट्री होते ही, मंदिर प्रशासन के दर्शन व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों के समक्ष इसकी लाइव फीड पहुंच जाती है।
लेवल चैकिंग- प्रोटोकॉल एंट्री की जानकारी तीन अलग-अलग स्थानों पर चेक की जा रही है, और तीनों जगह की गतिविधि की लाइव मॉनिटरिंग की जा रही है।
मॉनिटरिंग- इससे पता चलता है कि दिनभर में कितने श्रद्धालु प्रोटोकॉल से आए, उन्हें कहाँ तक (नंदी हॉल/जलद्वार) दर्शन कराए गए, और उनकी पूरी गतिविधि क्या रही।
यह सबकुछ रहेगा अब रिकॉर्ड में…
- श्रद्धालु कब मंदिर पहुंचे
- किस गेट से एंट्री की
- कितने समय में दर्शन किए
- कितने लोग साथ आए
- किसने प्रोटोकॉल दर्शन के लिए अनुरोध किया
- सभी नामित व्यक्तियों ने दर्शन किए या अतिरिक्त लोग भी शामिल थे
- वीआईपी को रिसीव किसने किया
- प्रोटोकॉल दर्शन की प्रक्रिया में कौन-कौन कर्मचारी शामिल रहा।
पहले पकड़ा जा चुका प्रोटोकॉल दर्शन के नाम पर वसूली का रैकेट
महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन के तहत न्यायिक अधिकारियों, मीडिया कर्मियों, जनप्रतिनिधियों और अन्य वीआईपी श्रद्धालुओं को नंदी हॉल तक जाने की अनुमति दी जाती है। आम श्रद्धालु भी 250 रुपए की रसीद के माध्यम से बिना लंबी कतार के दर्शन कर सकते हैं।इसी व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए कुछ कर्मचारी श्रद्धालुओं को विशेष दर्शन और जल अर्पण का झांसा देकर पुजारियों और पुरोहितों से मिलवाते थे।
इसके बाद प्रत्येक श्रद्धालु से 1100 से 2000 रुपए तक की अवैध वसूली की जाती थी। करीब 10 महीने पहले महाकाल मंदिर में वीआईपी और प्रोटोकॉल दर्शन के नाम पर अवैध वसूली का बड़ा मामला सामने आया था। इसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं से 1100 से 2000 रुपए तक वसूले जा रहे थे। जांच में सामने आया कि इस ठगी में मंदिर के कुछ कर्मचारी, पुरोहित और सुरक्षा गार्ड शामिल थे। मंदिर समिति ने इस मामले में करीब 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें से 6 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था।
बदमाशी पर रोक लगी नई व्यवस्था से
बीते सालों में जाँच में पाया गया कि कुछ कर्मचारियों ने अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शाकर अवैध एंट्री कराई और रूपयों के लेन-देन के आरोप भी लगे। (प्रोटोकॉल दर्शन के लिए प्रति व्यक्ति 250 दान अनिवार्य है)। इन अनियमितताओं और अवैध वसूली पर लगाम लगाने के लिए मंदिर समिति ने इस व्यवस्था को पूरी तरह ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। यह तकनीकी प्रणाली इसी महीने में शुरू हो गई है और इसके प्रभावी परिणाम सामने आने लगे हैं, जिससे व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ी है।
लाखों श्रद्धालुओं के बीच प्रोटोकॉल व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक नई पहल है। अब प्रोटोकॉल व्यवस्था अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित हो जाएगी।
-आशीष फलवाडिय़ा
सहायक प्रशासक









