उज्जैन में अब पौधों के बीच शिवलिंग के होंगे ‘दर्शन’!

गुजरात के केवडिय़ा की तर्ज पर 13 एकड़ जमीन पर विकसित हो रहा महाकाल सांस्कृतिक वन
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भारतमाता की आकृति में बनेगा वन, देश के 25 राज्यों के विद्यार्थी लगाएंगे पौधे…
सुधीर नागरउज्जैन। गुजरात के केवडिय़ा की तर्ज पर महाकाल नगरी उज्जैन में ऐसा वन विकसित हो रहा है, जिसमें शिवलिंग आकार का प्लांटेशन होगा यानी पौधों में शिवलिंग के दर्शन होंगे। इसी तरह भारतमाता की आकृति भी प्लांटेशन से बनाई जाएगी।
खास बात यह कि भारत के नक्शे में देश के 25 राज्यों के विद्यार्थी अपने राज्य से पौधे लाकर लगाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में 2004 में सांस्कृतिक वन की नींव रखी थी। इसके तहत अभी तक ऐसे 22 सांस्कृतिक वन बनाए जा चुके हैं, जिसमें गुजरात का रक्षा क्षेत्र, सांस्कृतिक वीरता एवं इतिहास का दर्शन समाहित है। इसी आधार पर वन विभाग, मध्यप्रदेश शासन ने प्रदेश के सभी जिलों में सांस्कृतिक वन स्थापित करने की पहल की है। पहले चरण में खजुराहो, भोपाल, उज्जैन और चित्रकूट में वन बनाए जा रहे हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय ने इसके लिए 13 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई है। प्रशासनिक संकुल के सामने अनूठा महाकाल सांस्कृतिक वन विकसित हो रहा है। वन विभाग इस पर करीब 30 फीट ऊंचा भव्य द्वार और बाउंड्रीवॉल बना रहा है। साथ ही पौधे भी लगाए जा रहे हैं। इसी साल मार्च तक इसे विश्वविद्यालय को हस्तांतरित करने की योजना है। वन विभाग इस पर विकास कार्य करा रहा है। कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडे ने बताया विश्वविद्यालय में 25 राज्यों के विद्यार्थी पौधे लगाकर भारतमाता की प्रतिकृति बनाएंगे। सभी अपने अपने राज्य से पौधे लगाकर लगाएंगे।
15 करोड़ का प्रोजेक्ट, 95 लाख पर लगा ब्रेक!
महाकाल सांस्कृतिक वन के लिए करीब 15 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बना। सूत्रों के अनुसार तीन बार बजट बढ़ा। पहले 5 करोड़ फिर 7 करोड़ और बाद में रिवाइज होकर 15 करोड़ तक पहुंचा, लेकिन प्रोजेक्ट के लिए सिर्फ 95 लाख रुपए ही मिल सके हैं। इसके बाद बजट पर ब्रेक लग गया। इस कारण प्रोजेक्ट के कई प्रस्तावों पर कैंची चल सकती है। गुजरात के केवडिय़ा की तरह प्रोजेक्ट के तहत मेडिटेशन सेंटर, पार्किंग आदि कई योजनाएं धरातल पर आना थी, लेकिन सिर्फ 95 लाख रुपए का बजट देने के साथ ऊपर से निर्देश दिए गए हैं कि गेट, बाउंड्रीवाल बनाकर पौधारोपण कर दीजिए। प्रदेश में अब डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व ने सरकार बनने से दोबारा प्रस्तावित बजट मिलने की उम्मीद है।
श्री रामगमन
पथ के पौधे बताएंगे इतिहास
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पांडे ने बताया महाकाल सांस्कृतिक वन में श्री रामगमन पथ के पौधे भी विद्यार्थियों के माध्यम से लगाने की योजना है। जहां जहां श्री राम ने गमन किया, उस मार्ग के पौधे वन में लगाए जाएंगे और उनका इतिहास भी प्रदर्शित किया जाएगा। मूल उद्देश्य है वन के मध्यम से भारतीय संस्कृति से युवा पीढ़ी को अवगत कराना है।
मार्च तक हैंडओवर होगा
वन विभाग को विश्व विद्यालय ने साढ़े तेरह एकड़ जमीन उपलब्ध कराई है। इस पर शिवलिंग और भारत माता के नक्शे की आकृति में पौधे लगाने की योजना है। कालिदास के मेघदूत में वर्णित पौधे भी लगाने की योजना है। – प्रो. अखिलेशकुमार पांडे कुलपति विक्रम विवि
95 लाख रुपए का बजट मिला
महाकाल सांस्कृतिक वन के लिए पहले चरण के अंतर्गत 95 लाख रुपए का बजट मिल गया है। इससे द्वार, बाउंड्रीवाल बनाकर पौधारोपण किया जा रहा है।-डॉ. किरण बिसेन, वन मंडलाधिकारी









