मांग व पूर्ति में अंतर के कारण आए दिन काउंटर खाली हो जाते, लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता
उज्जैन। महाकाल प्रबंध समिति द्वारा विक्रय किए जाने वाला लड्डू प्रसाद श्रद्धालुओं में खास है, लेकिन उचित मॉनिटरिंग नहीं होने और मिसमैनेजमेंट के कारण आए दिन लड्डू प्रसाद प्रसाद का टोटा पड़ जाता है। काउंटरों पर प्रसाद नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं को खाली हाथ निराश लौटते है।
महाकाल मंदिर में भक्तों को लड्डू प्रसाद नहीं मिलने की स्थिति कभी निर्मित हो जाती हैं। मांग व पूर्ति में अंतर के कारण आए दिन काउंटर खाली हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण समिति का मिसमैनेजमेंट है। सूत्रों का कहना है कि श्रावण के साथ तीज-त्यौहार पर श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर पूर्व अनुमान और आकलन नहीं होने की वजह से लड्डू प्रसाद तैयार नहीं हो पाता हैं।
प्रबंध समिति भगवान महाकाल के भोग प्रसाद के रूप में शुद्ध देशी घी से निर्मित बेसन के लड्डुओं का विक्रय करती है। मंदिर के विभिन्न काउंटरों से 1 किलो का पैक 260 रु., 500 ग्राम का पैक 130 रु. 200 ग्राम का पैक 60 रु. और 100ग्राम का पैक 30 रु. में मिलता है। देशभर से भगवान महाकाल के दर्शन करने आने वाले भक्त लड्डू प्रसाद खरीदकर ले जाते हैं।
इसमें श्रद्धालुओं की खास पसंद 200 ग्राम और 100 ग्राम का पैक है और कमी भी इन पैक ही रहती है। आम दिनों में तो भक्तों को सुविधा से प्रसाद उपलब्ध हो जाता है। लेकिन भीड़ वाले दिनों में समिति पर्याप्त मात्रा में प्रसाद की आपूर्ति नहीं कर पाती है। श्रावण मास में भी यही स्थिति बनी हुई है। बीते एक माह से भक्तों को सुविधा से प्रसाद उपलब्ध नहीं हो रहा है। शुरुआत के दो घंटे के बाद ही काउंटरों पर प्रसाद खत्म हो जाता है और श्रद्धालु बिना प्रसाद खरीदे मायूस होकर लौटते हैं।
यूनिट और मंदिर में समन्वय नहीं
बताया जाता है मंदिर के लड्डू काउंटरों के सुपरविजन, मॉनिटरिंग स्टाफ और निर्माण यूनिट में समन्वय नहीं होने से प्रसाद की कमी होती है। निर्माण यूनिट से तो निर्धारित समय पर सप्लाई होती है। मंदिर में सुपरविजन करने वाले श्रद्धालुओं की अधिकता और प्रसाद की ज्यादा खपत की जानकारी देकर लड्डू प्रसाद की मांग ही नहीं करते है और प्रसाद खत्म हो जाता है।
सीमित संसाधन
महाकाल मंदिर में पर्वों के समय तथा भीड़ वाले दिनों में हमेशा से ही लड्डू प्रसाद की किल्लत रही है। लड्डू प्रसाद का निर्माण परंपरागत तरीके से होता हैं। लड्डू बनाने की प्रक्रिया लंबी है,संसाधन सीमित हैं। यूनिट में स्थान कम है। मंदिर प्रबंध समिति की लड्डू निर्माण की अपनी निर्धारित विधि है। इसके अलावा मांग-पूर्ति अनुमान और आकलन नहीं होने से दिक्कत होती है।
मंदिर प्रबंध समिति तैयार करेंगी कार्ययोजना
लड्डू प्रसाद खत्म होने की दिक्कत का स्थायी निराकरण करने के मंदिर प्रबंध समिति कार्ययोजना तैयार करेगी। प्रसाद यूनिट विस्तार और संसाधन में वृद्धि के साथ अन्य व्यवस्थाओं के लिए विशेषज्ञों के साथ जानकारों से सुझाव लिए जाएंगे। निर्माण इकाई प्रतिदिन पूरी क्षमता के साथ लड्डू प्रसाद का निर्माण किया जा रहा है। फिर भी मांग अधिक होने से शुरुआती घंटों में ही प्रसाद खत्म हो जाता है। प्रसाद की आपूर्ति सतत बनी रहे, इसके लिए भी ध्यान दिया जा रहा है।
नरेंद्र सूर्यवंशी, प्रशासक महाकाल मंदिर प्रबंध समिति