उज्जैन नगर निगम की सबसे बड़ी समस्या कचरा

By AV NEWS

उज्जैन नगर निगम की सबसे बड़ी समस्या कचरा, जानलेवा प्रदूषण के बीच गुजर रही है जिंदगियां

1000 टन से ज्यादा कचरा पड़ा है रहवासी क्षेत्र में….

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:अपने शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए 5 वर्षों में उज्जैन नें स्वच्छता के कई उच्च मापदंडो को छुआ पर कचरे में कमी और कूड़े के पहाड़ों को कम करने का टास्क वह पूरा नहीं कर पाया ।

साल दर साल कचरे की मात्रा बढ़ती ही गई और अब हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं । साल 2019 में शहर में 67241 टन और साल 2020 में 75598 टन साल 21,22 और 23 में कचरे का आंकड़ा 95000 टन तक जा पहुंचा । प्रतिदिन लगभग 300 टन से ज्यादा कचरा उज्जैन से ट्रेचिंग ग्राउंड और निजी कंपनी के ट्रांसपोर्ट स्टेशन पर पहुंचता है । लेकिन करोड़ों रुपए फूंकने के बाद इस कचरे के निष्पादन के लिए उज्जैन नगर पालिका निगम के पास आज तक कोई ठोस विकल्प नहीं है ।

भारत सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरुआत की थी तब सभी शहरों को स्वच्छता के उच्च मापदंड को छुने और कचरे में कमी लाने को कहा था लेकिन इस बात को 5 साल गुजर गए पर अब तक सार्थक प्रयास सामने नहीं आए। कचरे के कारण आसपास के रहवासी क्षेत्र प्रदूषित वायु का शिकार हो रहे हैं। इस प्रदूषित कचरे ने कई जानलेवा बीमारियों को जन्म दे रखा है।

जनवरी 2023 से कचरा नहीं उठा

ट्रेचिंग ग्राउंड पर प्रतिदिन टनो से कचरा पहुंच रहा है लेकिन इस कचरे को हटाया नहीं जा रहा है । कचरे ने 56 बीघा जमीन को घेर रखा है । और प्रतिदिन स्थिति गंभीर होती जा रही है कचरे के निष्पादन के काम को निगम को महत्वपूर्ण कार्यों की श्रेणी में सबसे पहले लेना होगा । कचरे के ट्रांसपोर्ट का काम देखने वाली प्राइवेट कंपनी शहर के हर घर से 130 वहानों की मदद से 250 टन कचरा प्रतिदिन रूक्र-5 ट्रेचिंग ग्राउंड से डंप कर गोंदिया गांव पहुंच रही है

जान जोखिम मैं डालकर काम कर रहे कर्मचारी

कचरे की बड़ी व्यवस्था के लिए यहां महज तीन कर्मचारी की तैनाती है । दो दरोंगा एक गार्ड जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं । जानलेवा प्रदूषण से उनके और उनके परिवारजनों पर खतरा मंडरा रहा है कई बार यह बीमारियों का शिकार भी हो जाते हैं । कर्मचारियों की सेहत पर निगम का कोई ध्यान नहीं है इन्हें किसी भी प्रकार की सुरक्षा किट प्रदान नहीं की गई है । हल्की बारिश से कचरे की दुर्गंध इनकी सांसे तक रोक देती है ।

मजबूरी में दरोगा और गार्ड निगम की नौकरी कर रहे हैं इनको पीने के पानी के लिए भी 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है ठंड बरसात या गर्मी सभी मौसम में यह खुले आसमान के नीचे कचरे के ढेर के आसपास रहकर अपनी नौकरी कर रहे हैं इनका निगम ने आज तक स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं करवाया है । यह कर्मचारी बताते हैं कि प्रतिदिन 500 से ज्यादा मृत पशु ट्रेचिंग ग्राउंड पहुंचते हैं जहां पोकलेन मशीन की मदद से गड्ढा खोदकर उन्हें दफनाया जाता है इस प्रक्रिया में बहुत खतरा रहता है वह इस कार्य को बड़ी मुश्किलों से कर पाते हैं ।

अक्षर विश्व में निगम की और से इस कार्य का सुपरविजन करने वाले उपयत्रियों आशुतोष पांडे और विजय गोयल से जब कचरे के पहाड़ को लेकर चर्चा की गई तो उन्होंने कहां की व्यवस्था की जा रही है कचरे के निष्पादन के लिए शासन से राशी की मांग की गई है । निगम की एम आई सी बैठक में भी यह मुद्दा उठा था हम इस पर काम कर रहे हैं । लेकिन वह क्या काम कर रहे इस सवाल के जवाब में उन्होंने चुप्पी सदली और कहा कि जल्द ही कचरे को निष्पादित करने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे ।

करोड़ों की राशि खर्च लेकिन काम कुछ नहीं

निगम ने यहां नया प्लांट शुरू किया था गीला और सूखा कचरा अलग-अलग निष्पादित हो यह नए प्लांट का मकसद था । निगम नें इसके लिए करोड़ों रुपए की राशि खर्च करी और सिर्फ कमीशन का खेल खेला लिहाजा 1 वर्ष बीतने के बावजूद अब तक यहां खड़े नवीन वहानों के स्टेरिंग पर अब तक कोई नहीं बैठ पाया और ना ही यहां कोई काम शुरू हुआ योजना के मुताबिक बड़े डंपरों से यहां गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग कर दूसरी जगह शिफ्टिंग करना था।

अब तक सभी योजनाएं विफल

डोर टू डोर गीला सूखा एवं हानिकारक कचरा एकत्रित करने का प्लान तो निगम ने सक्सेस कर लिया लेकिन कचरा नष्ट या इसके रि-यूज के प्लान पर निगम फेल हो गया । कचरे से खाद अगरबत्ती, बिजली,प्लास्टिक के पाइप बनवाने को लेकर प्रयास तो हुए लेकिन योजना का सही इंप्लीमेंट नहीं हो पाया लिहाजा नतीजा कुछ नहीं निकला । निगम ने मिशन 4-आर ( कचरे को रि- ड्यूज रि-फ्यूज रि -यूज और रि -साइकलिंग करना ) पर भी कोई खास काम नहीं किया इस पर भी आज तक सवाल उठ रहे हैं ।

पक्षियों की जान संकट में
एमआर-5 ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरो का पहाड़ तैयार हो गया है यहां प्रतिदिन हजारों की तादाद में पक्षियों का आना जाना लगा रहता है । यह पक्षी जहरीला कचरा खाकर मौत का शिकार हो रहे हैं । ट्रेचिंग ग्राउंड पर हजारों की तादाद में पक्षियों को कचरे के ढेर पर बैठे देखा जा सकता है ।

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