Sunday, October 1, 2023
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कार्तिक मेले की 700 दुकानों में से 125 पर पहुंचें व्यापारी, शेष अब भी खाली…

आवंटन प्रक्रिया नहीं समझने के कारण दुकानों से वंचित लोग

कार्तिक मेले की 700 दुकानों में से 125 पर पहुंचें व्यापारी, शेष अब भी खाली…

उज्जैन। नगर निगम अफसरों ने अतिरिक्त कमाई के चक्कर में कार्तिक मेले की रंगत बिगाड़ कर रख दी। आलम यह है कि मेले का पहला रविवार होने के बावजूद दुकानें नहीं लग पाईं हैं। ऑनलाइन सिस्टम व्यापारियों की समझ से बाहर है। कई व्यापारी सामान समेटकर वापस लौट रहे हैं। वर्षों से मेले में दुकान लगाने वाले व्यापारियों का कहना है कि देश के किसी भी मेले में ऐसी अव्यवस्था और ऑनलाइन सिस्टम नहीं है। यही आलम रहा तो अगले साल से दुकानें लगाने भी नहीं आएंगे।

इस कारण नहीं लग पाई दुकानें

कार्तिक मेले में टीनशेड व बल्ली की कुल 700 दुकानें बनाई गई हैं। इस वर्ष नगर निगम अफसरों ने अतिरिक्त कमाई की बात कहते हुए दुकानों का आवंटन ऑनलाइन कर दिया। व्यापारियों को पता चला कि दुकान ऑनलाइन ऑफर बीड़ में मिलेंगी। व्यापारी का कहना है कि हम ऑनलाइन टेंडर समझते नहीं हैं। दूसरी बात ऑनलाइन में 1250 की दुकान 10 से 20 हजार रुपये में मिल रही है। पहले ब्लेक में 5 से 8 हजार में दुकान मिल जाती थी।

वापस जाने लगे व्यापारी

कार्तिक मेले में देश भर से व्यापारी दुकानें लगाने आते थे। इस वर्ष भी व्यापारी आये लेकिन दुकानों के आवंटन में बदलाव, साईज भी छोटी करने और अव्यवस्थाओं को देखते हुए ग्वालियर, मेरठ और दिल्ली के व्यापारी मेले से सामान समेटकर वापस चले गये। व्यापारियों ने बताया कि ऑनलाइन 25 हजार में खरीदी दुकानें 40 हजार में ब्लेक हो रही हैं।

बाप-दादा विरासत में दे गए दुकान

मेरे बाप-दादा मेले में दुकान लगाते थे। नगर निगम को पुरानी पर्ची दिखाकर हर साल दुकान मिल जाती थी। मैं मनीहारी और भेलपुरी की दुकान लगाता हूं। दुकान की कीमत इतनी अधिक हो गई है कि बोली नहीं लगा सकते इस कारण अब तक दुकान नहीं लगाई। प्रदीप पटवा, बहादुरगंज

मैं वर्षों से कार्तिक मेले में आर्टिफिशियल ज्वैलरी की दुकान लगा रहा हूं। इस साल ऑनलाइन सिस्टम कर दिया जिसमें एक दुकान के लिये 4 से 5 लोग बोली लगा रहे हैं। 1250 की दुकान की कीमत बोली में 20 हजार तकपहुंच गई। इतने रुपये में दुकान लेंगे तो क्या कमाएंगे। रफीक भाई, इंदौर

मेला 10 दिन लेट हो चुका है, कार्तिक पूर्णिमा पर ही हम पूरे मेले का खर्च दुकान से निकाल लेते थे। मेले का पहला रविवार भी सूना है। किसी ने दुकान नहीं लगाई है। नगर निगम अफसरों की मनमानी के कारण पूरा मेला बिगड़ गया है। आज दुकानों की समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो कल हम लोग सामान लेकर चले जाएंगे। फरीद मामू, ललितपुर

7 दिन पहले मेले में दुकान लगाने आ गया था। एक कर्मचारी भी साथ में है। मैं तो कई सालों से ब्लैक में दुकान खरीदता था। अभी तक दुकान नहीं मिल पाई है। खाली शेड में सामान रख लिया है। व्यापारियों के लिये नगर निगम ने न तो पीने के पानी की व्यवस्था की है और न ही सफाई हो रही है। बिना व्यापार के 15 हजार रुपये खर्च हो गये। आगे क्या होगा कुछ पता नहीं। बम बम झा, दिल्ली

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