चुनाव में गांव के चौकीदार बन जाते हैं विशेष सुरक्षा अधिकारी

By AV NEWS

यह है लोकतंत्र के महायज्ञ की खूबसूरती

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन लोकतंत्र के महायज्ञ चुनाव में राजनीतिक दल,नेताओं का तो अपना महत्व है, लेकिन प्रशासनिक मशीनरी की अंतिम पायदान के कर्मचारी का अलग ही प्रभाव बन जाता है। अब ग्राम के चौकीदार (कोटवार) को ही देखिए..चुनाव के दौरान के दौरान इन्हे अलग ही दर्जा मिलता है। गांव के चौकीदार विशेष सुरक्षा अधिकारी बन जाते हैं।

भले ही राजस्व महकमे में कोटवार को सबसे अंतिम पंक्ति का माना जाता है, लेकिन कई काम और मुद्दों पर कोटवार की खास भूमिका है। कोटवार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो गांव के चौकीदार पद पर होता है। कोटवार को हल्का में तैनात किया जाता है, ताकि वहां की गतिविधियों से प्रशासन को अवगत कराया जा सके। पटवारी, राजस्व निरीक्षक द्वारा सीमांकन या अन्य भूमि विवाद संबंधित मामलों पर कोटवार को साथ लेकर जानकारी जुटाई जाती है।

कोटवारों का संबंध गांव के प्रत्येक व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक रहता है। व्यक्ति के जन्म होते ही कोटवार द्वारा जन्म पंजी में उसका नाम दर्ज किया जाता है, उसी प्रकार मृत्यु होने पर मृत्यु पंजी में उसका नाम दर्ज किया जाता है कोटवार को गांव में होने वाले सभी छोटे- बड़े अपराधों की जानकारी, गांव में आने वाले अजनबी व्यक्तियों की जानकारी, गांव में होने वाले हर गतिविधि की सूचना प्रशासन देता है। हर प्रशासनिक कार्य को संचालित करने में कोटवार महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। एक तरह से कोटवार ग्राम देवता की भांति होते हैं। चुनावों में कोटवार विशेष सुरक्षा अधिकारी कहलाते हैं।

सब अफसर बन जाते हैं

विधानसभा-लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशासन-पुलिस की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर भारत निर्वाचन आयोग को सौंप दी जाती है। इसका बाकायदा गजट नोटिफिकेशन भी होता है। चुनाव के लिए आयोग ड्यूटी पर बड़ी संख्या में अधिकारियों-कर्मचारियों को तैनात करता है। खास बात यह कि चुनावी ड्यूटी में वे भी अधिकारी कहलाते हैं, जिनका पदनाम उनके मूल दफ्तर में प्यून, क्लर्क, बड़े बाबू आदि है।

यही नहीं, लोकतंत्र के इस महायज्ञ में गांव के कोटवार भी विशेष सुरक्षा अधिकारी (एसपीओ) कहलाते हैं। मानदेय, वेतनमान, पदनाम और पद श्रेणी में ये भले ही एक दूसरे से कनिष्ठ या वरिष्ठ हों, लेकिन इस विशेष ड्यूटी में इनका महत्व बढ़ जाता है। जब तक इन कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी रहती है, तब तक यह चुनाव आयोग में प्रतिनियुक्ति पर रहते हैं। चुनाव में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का महत्व और दायित्व बढ़ जाता है। इसलिए सभी को बाकायदा समुचित सम्मान किया जाता है।

Share This Article