अब खटने लगे हैं ‘सिक्के, 1, 2, 5 और 10 रुपए के कलदार से ‘दूरी’

By AV NEWS

अब खटने लगे हैं ‘सिक्के, 1, 2, 5 और 10 रुपए के कलदार से ‘दूरी’

सिक्का न लेने वालों पर कार्रवाई के प्रावधान हैं

उज्जैन।सुकूनभरी खनक वाले सिक्के अब बाजार में परेशानी का बेसुरा राग बनते जा रहे हैं। पिछले कई महीनों से बाजार में 2, 5 व 10 रुपए के सिक्कों की इतनी भरमार है कि हर कोई इन्हें लेने से कतराने लगा है। मजबूर दुकानदार को ग्राहक से मन मारकर ही सही सिक्के लेना पड़ रहे हैं, उधर बैंक भी इन्हें लेने में कम आनाकानी नहीं कर रहे। सिक्कों की अधिकता और इन्हें लेकर चलने वाली नित नई अफवाह इसकी सबसे बड़ी वजह है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की कई कोशिशों और बार-बार उनकी वैधता का स्पष्टीकरण (एसएमएस सहित अन्य माध्यमों से) देने के बाद भी सिक्के सहजता से स्वीकार नहीं किए जा रहे।

सबसे ज्यादा परेशानी छोटे दुकानदारों की है। उन्हें सिक्के देने को सब तैयार हैं लेकिन लेने को कोई नहीं। जानकारों के मुताबिक नोटबंदी के बाद छोटे नोट या रेजगारी (खुल्ले) का संकट दूर करने के लिए बाजार में उतारे गए 2, 5 और 10 रुपए के नए सिक्कों और पुराने सिक्कों के बंद होने की आधारहीन अफवाहों से समस्या लगातार बढ़ती गई।

नए सिक्के तो बाजार में आए ही, लोगों ने संचय कर रखे पुराने सिक्कों को खपाना शुरू कर दिया। आरबीआई के बार-बार ताकीद करने के बाद भी लोग इनके बंद हो जाने की अफवाह से प्रभावित होते रहे और सिक्के बढ़ते रहे।

वित्त विशेषज्ञों का अनुमान है कि करीब 200 करोड़ रुपए मूल्य के सिक्के मुद्रा संचय के कारण बाजार में नहीं थे लेकिन नोटबंदी के कारण बाजार में आ गए। फुटकर के रूप में लोग सिक्के दे तो रहे हैं, लेकिन कई बार कहने के बाद भी 10 या 20 रुपए से ज्यादा के सिक्के नहीं लेते।

इसलिए ‘खोटा’ लगता है सिक्का

वजनदार

रखने, लेन-देन में सहज नहीं

गिनने में वक्त लगता है।

बहुत खरा है सिक्का

कठोर, लंबे समय तक चलते हैं

छोटे लेनदेन में उपयुक्त

जाली सिक्के की संभावना नगण्य

नोटबंदी ने यहां भी बदला तरीका

हर शहर में कुछ ऐसी दुकानों के बोर्ड दिख जाते थे जहां पुराने व कटे-फटे नोट बदले जाने की बात लिखी होती है। इनमें कमीशन पर छोटे नोट के बदले बड़े नोट और नोट के बदले सिक्के भी मिल जाते थे। अब केवल 50 व 100 रुपए के नोट बदलवाने लोग आते हैं वह भी बहुत कम। बताते हैं कि पहले जहां 100 रुपए के नोट के बदले 90 रुपए के सिक्के मिलते थे, अब सिक्के के बदले नोट मांगे जा रहे हैं।

बैंक इनकार नहीं कर सकते, लेकिन सीमा भी

सिक्कों को बड़ी संख्या में खपाने का एकमात्र जरिया बैंक हैं। सिक्कों को गिनने, उन्हें रखने में परेशानी की वजह से बैंककर्मी इन्हें लेने में टालमटोल करते हैं। कानूनी बाध्यता के चलते वे इन्हें स्वीकार करने से मना नहीं कर सकते लेकिन इसकी सीमा तय कर दी गई है।

एक व्यक्ति एक दिन में एक हजार रुपए मूल्य से अधिक के सिक्के जमा नहीं कर सकता। लीड बैंक (बैंक ऑफ इंडिया) के मैनेजर संदीप अग्रवाल मुताबिक अगर कोई कारोबारी, यात्री वाहन के चालक सिक्का लेने नहीं लेते हैं तो इसकी सूचना सीधे पुलिस को दी जा सकती है। सिक्का न लेने वालों पर कार्रवाई के प्रावधान हैं।

एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है….यदि कोई दस रुपये का सिक्का लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आइपीसी के तहत कार्रवाई होगी। मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है।

सिक्काकरण अधिनियम 2011 की धारा 6 के तहत रिजर्व बैंक द्वारा जारी सिक्के भुगतान के लिए वैध मुद्रा हैं। यह भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 की उप-धारा (2) में निहित प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा प्रत्याभूत हैं।

समस्या गंभीर है

आम जनता से जुड़ी यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि आरबीआई ने एक गाइडलाइन जारी कर बैंकों को आगाह किया। इसमें जुलाई 2017 में जारी मास्टर सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा गया है कि बैंक की कोई भी शाखा छोटे नोट अथवा सिक्के स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकती। आरबीआई ने बैंकों को उपाय भी सुझाए हैं।

सोशल मीडिया पर भी चर्चा…

शहर में 5 के नोट भी नही लिए जा रहे है, सरकार कोई कदम उठाए।- जयंत तेलंग

5000 -7000 तक में ले सकता हूं, किसी के पास हो तो 20 प्रतिशत काटकर अगर कोई देना चाहे।- युवराज सोलंकी

कस्टमर्स ही नही लेते तो दुकानदार उसका क्या करेंगे।- अकुंश त्रिवेदी

भाई जो दुकानदार मना करें, उसका वीडियो बनाओं और 100 डायल करो।-प्रेम वर्मा

राष्ट्रीय मुद्रा के अपमान का मामला दर्ज करवाइए।-वसीम शेख

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