उज्जैन। शहर में कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद लग रहे हैं। सरकारी स्कूलों में तो उपस्थिति कम आ रही है लेकिन निजी स्कूलों में ऑफ लाइन पढ़ाई, प्री बोर्ड और वार्षिक परीक्षा की तैयारी के नाम पर विद्यार्थियों को बुलाया जा रहा है। ऐसे स्कूल भी हैं जहां पालकों पर दबाव बनाकर विद्यार्थियों को बुला रहे हैं ताकि फीस भी जमा हो जाए। इस बीच विद्यार्थी भी कोरोना से पीडि़त आ रहे हैं, जिसकी जानकारी पालक छिपा रहे हैं किंतु दोस्तों के बीच से बात लीक हो रही है। बावजूद इसके संबंधित स्कूल प्रशासन की और से कोई कार्यवाही नहीं हो रही।
शहर के एक निजी स्कूल की विद्यार्थी कोरोना पॉजिटिव आ गई। सूत्रों की मानें तो उसके परिवार में कोरोना पॉजिटिव का यह चौथा मामला था। बावजूद इसके संबंधित विद्यार्थी फेल होने के भय से परीक्षा देने स्कूल पहुंची और होमवर्क की कापियां भी शिक्षकों को जांचने के लिए दे गई। शिक्षकों ने सभी विद्यार्थियों के साथ संबंधित की परीक्षा दिलवाई। वहीं कापियां भी चेक हो गई। चार दिन बाद अन्य विद्यार्थी से पता चला कि विद्यार्थी कोरोना पॉजिटिव होकर घर पर क्वारेंटाईन हैं। इसके बाद शिक्षकों के हाथ पैर फूल गए। लेकिन स्कूल प्रबंधन चुप रहा। अभी भी स्कूल लग रहा है, परीक्षा हो रही है। ऐसे ही मामले कुछ कई निजी स्कूलों में हो गए हैं।
वहीं सरकारी स्कूल में ऐसे दो मामले हाल ही में सामने आए हैं। दो शिक्षक कोरोना पॉजिटिव आ गए। जिस दिन रिपोर्ट आई, उस दिन सुबह तक स्कूल आए, बच्चों को पढ़ाया, कापिंया जांची, स्टॉफ के साथ बैठे। जब अगले दिन फोन आया कि वे हॉस्पिटल में भर्ती हैं तो पूरा स्टॉफ दहशत में आ गया।
पालकों की कलेक्टर से अपील…
पालकों ने कलेक्टर से अपील की है कि वे ही हस्तक्षेप करें। उज्जैन में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच कम से कम 10 दिन के लिए उज्जैन शहर के कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल बंद कर दें। ताकि विद्यार्थी नहीं आए और शिक्षक भी होम क्वारेंटाइन रहें। ऐसा होने पर यदि किसी स्कूल में संक्रमण फैलने की संभावना होगी तो वह समाप्त हो जाएगी। पालकों के अनुसार कम से कम 10 दिन के लिए शहर के सभी शासकीय एवं अशासकीय हायर सेकण्डरी स्कूलों में अवकाश घोषित कर देना चाहिए।